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कल्पसूत्र श्रवण करें और उत्कृष्ट भक्ति करते जाएं : डॉ वसन्तविजयजी म. सा.

कल्पसूत्र श्रवण करें और उत्कृष्ट भक्ति करते जाएं : डॉ वसन्तविजयजी म. सा.

14 दिव्य स्वप्नों का अद्धभुत व्याख्यान और प्रभु जन्म का अलौकिक वर्णन किया डॉ. वसंतविजयजी म.सा. ने

इंदौर। कृष्णगिरी पीठाधिपति राष्ट्रसंत, यतिवर्य डॉ. वसंतविजयजी म.सा. ने शुक्रवार को कहा कि श्रावक-श्राविकाएं पूर्ण धार्मिक भावना के साथ जैन धर्म के 45 आगमों का प्रमुख धर्मशास्त्र कल्पसूत्र का श्रवण करें और इस दौरान उत्कृष्ट भक्ति करते जाएं।
उन्होंने कहा कि एकता, अपनापन और विवेक बढ़ाते हुए केवल पर्युषण पर्व के दौरान केवल कल्पसूत्र के श्रवण करने तक ही सीमित नहीं रहें बल्कि इस महान ग्रंथ के संदेशोंं व उदाहरणों को भी आत्मसात् करते हुए आत्मा परमात्मा की साधना करें।
यहां श्री नगीन भाई कोठारी चैरिटेबल ट्रस्ट के तत्वावधान में हृींकारगिरी तीर्थ धाम में दिव्य भक्ति चातुर्मास कर रहे डॉ. वसंतविजयजी म.सा. ने पर्यूषण पर्व के दौरान स्वर्णाक्षरों से लिखित कल्पसूत्र के वाचन में यह बातें कही।
उन्होंने कहा कि इस दौरान ज्ञान, धर्म, भक्ति बढ़ाएं और प्रभु से कहें कि हमें आशीर्वाद अच्छा मिले। डॉ. वसंतविजयजी म.सा. ने समाज को सुधारने की सीख देते हुए कहा कि आत्मा को साफ करें और न केवल अपने जीवन को संस्कारमय बनाएं बल्कि लोगों को भी संदेशप्रद बातें कहें।
उन्होंने कहा कि इस कल्पसूत्र में जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों के जीवन संदेश, आदर्श के साथ-साथ अनेक कथानकों के माध्यम से आत्मकल्याण का संदेश दिया गया है। उन्होंने कहा कि कई वर्षों पहले जैन धर्म के पहले 24 वें तीर्थंकर भगवान महावीर के छठे उत्तराधिकारी भद्रबाहू स्वामी ने प्राकृत भाषा में इसकी रचना की थी। 
कल्पसूत्र की व्याख्यानमाला
कल्पसूत्र के व्याख्यानमाला में नागकेतू की कथा, 10 कल्प, कुमारनंदी एवं पौषध की महिमा का वर्णन डॉ. वसंतविजयजी के श्रीमुख से हुआ। ट्रस्टी विजय कोठारी ने बताया कि पूज्य गुरुदेव की अमृतमयी वाणी में मां त्रिशला के 14 दिव्य स्वप्नों का अद्भुत व्याख्यान एवं प्रभु जन्म का अलौकिक वर्णन किया गया।
स्वप्न दर्शन की अद्भुत व्याख्या सुनकर भक्तों ने 14 दिव्य सपनों का चढ़ावा बोलकर सुंदरलाभ लिया। विशेष रुप से गुरुदेव डॉ. वसंतविजयजी म.सा. के श्रीमुख से लक्ष्मीजी का वर्णन सुनकर श्रद्धालूओं के मुख से एक ही आवाज आयी कि जीवन में पहली बार यह वर्णन सुना।
ट्रस्टी जय कोठारी ने बताया कि हृींकारगिरी तीर्थ धाम में प्रतिष्ठापित मूलनायक परमात्मा पाश्र्वनाथजी की प्रतिमा का विधिकारक हेमंत वेदमूथा मकशी द्वारा 50 दिवसीय 18 अभिषेक शुक्रवार को भी जारी रहा।

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