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कल्पवृक्ष व चिंतामणि के समान है प्रभु पाश्र्व की भक्ति: डॉ. वरुण मुनि

कल्पवृक्ष व चिंतामणि के समान है प्रभु पाश्र्व की भक्ति: डॉ. वरुण मुनि

अनुष्ठान में उमड़ा जन सैलाब, विश्व शांति के लिए की गई मंगल प्रार्थना

चेन्नई. गुरु पद्म- अमर कुल भूषण भ्रमण संघीय उप प्रवर्तक पंकज मुनि की निश्रा में तथा एस. एस. जैन संघ, साहुकारपेट के तत्वावधान में 23वें तीर्थंकर पुरुषादानीय प्रभु पाश्र्वनाथ के मोक्ष कल्याणक की आराधना शुक्रवार को भव्याति भव्य रूप से सानंद संपन्न हुई। लाल परिधान में उपस्थित बहनों एवं सफेद परिधान में भाईयों ने सजोड़े जाप में बहुत ही श्रद्धा के साथ भाग लिया। सर्वप्रथम रुपेश मुनि ने नवकार महामंत्र के बीज मंत्र का सस्वर, जाप करवाया। तत्पश्चात लोकेश मुनि ने सामूहिक नवकार महामंत्र का जाप करवाया। ओजस्वी प्रवचन कार वरुण मुनि अष्टाक्षरी महा विधा तथा प्रभु पाश्र्वनाथ के महा प्रभावशाली श्री उवसग्गहरं स्तोत्र पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संघ हित की भावना से ओतप्रोत होकर आचार्य भद्रबाहु स्वामी जी महाराज साहब ने सदियों पूर्व इसकी रचना की थी। आचार्यदेव का यह चतुर्विध संघ पर महान उपकार है जो कि – युगों-युगों तक स्मरण किया जाता रहेगा।

गुरुदेव ने कहा चिंतामणि भगवान पाश्र्वनाथ की भक्ति कल्पवृक्ष के समान इंसान की हर कामना पूर्ण करने वाली तथा चिंतामणि के समान समस्त चिंताएं हरने वाली है। अनुष्ठान के अंत में उपस्थित सैकड़ों भाई- बहनों ने गुरुदेव के साथ विश्व के समस्त प्राणियों के लिए सुख- शांति की कामना की। पंकज मुनि के श्री मुख से 5, 9, 11 व अन्य लंबी तपस्या एकाशन, आयं बिल उपवास वालों के प्रत्याख्यान हुए। श्रीसंघ की ओर से जाप कार्ड एवं रक्षा सूत्र की प्रभावना की गई। भाई- बहनों, बच्चों व युवाओं ने बड़े ही भक्ति भाव के साथ रक्षा सूत्र धारण किए। मंगलपाठ के उपरांत तपस्वी बहनों के परिजनों व महिला मंडलों के द्वारा मंगल गीतों का भी आयोजन हुआ।

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