🏰☔ *साक्षात्कार वर्षावास* ☔🏰
*ता :11/8/2023 शुक्रवार*
🛕 *स्थल: श्री राजेन्द्र भवन चेन्नई*
🪷 *विश्व पूजनीय प्रभु श्रीमद् विजय राजेंद्र सुरीश्वरजी महाराज साहब के प्रशिष्यरत्न राष्ट्रसंत, दीक्षा दानेश्वरी आचार्य श्रीमद् विजय जयंतसेनसुरीश्वरजी म.सा.के कृपापात्र सुशिष्यरत्न श्रुतप्रभावक मुनिप्रवर श्री डॉ. वैभवरत्नविजयजी म.सा.* के प्रवचन के अंश
🪔 *विषय अभिधान राजेंद्र कोष भाग 7*🪔
मृत्यु की जिसको न स्पर्श कर सकता है, ना दुख दे सकता है, ना पीड़ा दे सकता है वो है शुद्ध आत्मतत्व और उसके अनंत गुण है।
~ हमारा हर एक कदम, प्रयास- जो मेरा है ही नहीं और होगा भी नहीं ऐसे निरर्थक संबंध, चीजों के लिए ही हमारा जीवन व्यतीत हो रहा है।
~ हमारी दृष्टि पूर्वभव, परभव और वास्तविकता को नहीं समझने के कारण ही हमारा आज का जीवन देहाधीन हो गया है।
~ कर्म तब तक ही बलवान है जब तक आत्मा सामर्थ्य और गुणवान आत्मा प्रकट नहीं होता, १ पल प्रकट होने के बाद कर्म का अंत होता है।
~ प्रभु महावीर स्वामी ने पूर्ण ज्ञान वाला केवल ज्ञान पाने के बाद ही जगत को सत्य सुख पाने के लिए बोध दिया है अब केवली प्रभु के वचन का यदि हम पूर्ण श्रद्धा से पालन करते हैं तो हमें दुख, दर्द, पीड़ा, क्लेश हो ही नहीं सकता।
~ हमारे जीवन में सुख हो या दुख, मान हो या अपमान सब कुछ बदलता ही है इसीलिए कभी भी न बदलने वाले ऐसे आत्म तत्व को ही पाना चाहिए।
~ मानव मृत्यु को नहीं रोक सकता लेकिन मृत्यु के भय को तो अवश्य जीत ही सकता है।
~ समझदार मानव शरीर, मन, कर्म के मूल ऐसे अज्ञान को ही मार देते हैं।
~ प.पू. प्रभु श्रीमद् विजय राजेंद्र सुरीश्वरजी महाराज साहब ने ये मानव भव का मूल्य किया और अमूल्य ऐसे आत्मा तत्व को पाकर मृत्यु के भय को भी जीत लिया था।
~ हमारे मन में जैन दर्शन का अनंत मूल्य होना ही चाहिए क्योंकि जैन दर्शन के बल से ही सभी पाप, गलतियां, दोषों का नाश होता है
*”जय जिनेंद्र-जय गुरुदेव”*
🏫 *श्री राजेन्द्रसुरीश्वरजी जैन ट्रस्ट, चेन्नई*🇳🇪