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कर्मों से ही मिलते हैं शुभ-अशुभ फल: साध्वी डॉ.सुप्रभा

कर्मों से ही मिलते हैं शुभ-अशुभ फल: साध्वी डॉ.सुप्रभा

आचार्य जयमल जयंती समारोह

चेन्नई. पुरुषवाक्कम स्थित एएमकेएम में आचार्य जयमल जयंती पर पंचदिवसीय कार्यक्रम के समापन पर साध्वीवंृद के सानिध्य में साधर्मिकों को अन्नदान तथा वस्त्रदान हुआ।

इस मौके पर साध्वी कंचनकंवर व साध्वी डॉ.सुप्रभा के सानिध्य में साध्वी डॉ. इमितप्रभा ने कहा प्रभु ने कहा यह अवसर बहुत मुश्किल से मिला है, इसे न गंवाएं। इसकी सफलता के लिए समय-समय पर बोध सूत्र पढऩे-सुनने में आते हैं। आसक्ति से संसार परिभ्रमण होता है, विरक्ति से संसार सीमित होता है और विमुक्ति से संसार सागर से पार हो मोक्ष प्राप्त करते हैं।

संसार की विचित्रता और शरीर की विचित्रता को जानने, चिंतन करने से संसार से विरक्ति होगी। विरक्ति के तीन कारण ग्रंथों में आए हैं-मोहगर्भित, दुखगर्भित और ज्ञानगर्भित। नमिराजा प्रसंग में बताया कि उनको ज्ञानगर्भित होता है। परीक्षा लेने आए इन्द्र को कहते हैं कि कौन किसका रक्षक है, सभी स्वार्थ के कारण ही कोलाहल मचाते हैं। इसी प्रकार विरक्ति के लिए संसार और शरीर की विचित्रता, नश्वरता देखनी चाहिए।

वस्त्रदान, अन्नदान आदि धार्मिक क्रियाएं हमें विरक्ति की ओर ले जाती है। परोपकार करें, लेकिन उसका प्रदर्शन नहीं। परोपकार परमार्थ से जुड़ जाए तो अनन्त कर्म निर्जरा हो जाए। चिंतन में जिनवाणी की डोर पकड़ें तो साधना सम्यक होकर परमलक्ष्य प्राप्ति हो जाए।

साध्वी डॉ.उन्नतिप्रभा ने कहा आगम कहते हैं- विश्व में जितने भी प्राणी हैं, सभी अपने कर्मों से सुखी-दुखी होते हैं। विश्राम कर रहे श्रीकृष्ण के पैर में बहेलिया द्वारा तीर लगने और उसके दुखी होने पर उसे समझाते हुए कहते हैं मैंने पूर्व में जो कर्म किए यह उसी का फल मिला है। मनुष्य हंसकर कर्मों का बंध करता है और उनका फल भोगने के समय दुखी होता है, विलाप करता है।

कर्मफल भोगना ही होता है। इनसे आत्मा के साथ जन्म और मरण का दौर चलता रहता है, आत्मा जाग्रत हो कर्म निर्जरा करे तो मुक्तिमार्ग मिल जाए। वस्त्र को जल से धोने की तरह आत्मा से कर्मों को दूर किया जा सकता है। परिस्थितियों का कर्ता व भोक्ता आत्मा है। प्रभु ने कहा है-आत्मा ही स्वयं नरक वैतरणी है, कामधेनु, कल्पवृक्ष और नन्दनवन है, इससे अलग परमात्मा नहीं है।

भगवान महावीर का सरल दर्शन आत्मा मुक्ति का सरल मार्ग बताता है लेकिन मानव दर्शन छोडक़र प्रदर्शन करता है। प्रदर्शन छोड़ जो साधना पर चले वे ज्ञान, दर्शन, चारित्र से मोक्ष प्राप्त करते हैं। पता है।

धर्मसभा में ललिता जांगड़ा द्वारा प्रशिक्षित लोट्स स्कूल की छात्राओं और दिव्यदृष्टियों ने भक्तामर और भजन पेश किए और मांसाहार त्याग का संकल्प लिया। दोपहर में जयमल टास्क प्रतियोगिता और मिडब्रेन एक्टिवेशन शिविर का समापन हुआ जिसमें प्रशिक्षण प्राप्त बच्चों ने अपनी योग्यता का प्रदर्शन किया।

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