चेन्नई. पुरुषवाक्कम स्थित एएमकेएम मेमोरियल सेन्टर में विराजित साध्वी कंचनकंवर के सान्निध्य में साध्वी डॉ. हेमप्रभा ने कहा जैसे मुस्लिम धर्म में कुरान, ईसाई धर्म में बाइबल, बौद्ध धर्म में धम्मपद, वैष्णव धर्म में गीता का महत्व है वैसे ही जैन धर्म में आगम महत्वपूर्ण है।
आगम आप्त पुरुष द्वारा कथित गणधर द्वारा ग्रन्थित एवं मुनिवर द्वारा विवेचित है। वीतरागता प्राप्त कर जो देशना दी गई वही आगम में रचित है। विपाक सूत्र की भूमिका में कहा है कि विभाग अर्थात परिणाम फल, जैसा कर्म जीवात्मा करती है वैसा फल प्राप्त होता है। विभाग दो हैं सुख विपाक व दुख विपाक। अशुभ कर्म से दुख और शुभ कर्म से सुख मिलता है। अब आपके हाथ में है कि आप कौन-सा कर्म कर रहे हैं।
साध्वी डॉ.इमितप्रभा ने कहा शक्ति किसमें है? इस प्रश्न का उत्तर है शक्ति आत्मा में है। आत्मा में अनंत शक्ति है- ज्ञान शक्ति, तप शक्ति, दर्शन शक्ति, समझ शक्ति, संयम शक्ति है।
उन्होंने कहा जिस प्रकार हाथी पर अंकुश, घोड़े पर लगाम जरूरी है इसी प्रकार इंद्रिय और मन पर भी संयम आवश्यक है। संयम ही जीवन है। खाने में, पीने में, बोलने में, चलने में प्रत्येक क्रिया में संयम की आवश्यकता है। संयम बंधन नहीं मुक्ति है।
प्रतिदिन सुबह 8.15 से 9.15 बजे तक युवाओं के लिए जैनत्व क्लास तथा उसके बाद दैनिक प्रवचन होगा, गुरुवार को मध्यान्ह 2 बजे से जाप होगा।