आचार्य श्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी श्री अणिमाश्रीजी के आचार्य महाश्रमण तेरापंथ जैन पब्लिक स्कूल के प्रांगण में अक्षय तृतीया पर चेन्नई में वर्षीतप करने वाले तपस्वियों के दर्शन करने आने पर उनकी तप अनुमोदना में साध्वीश्री ने कहा कि भगवान ऋषभ सभ्यता व संस्कृति के पुरोधा थे।
कर्मयुग व धर्मयुग के प्रणेता थे। असि, मसि व कृषि के मंत्रदाता थे। पुरुषार्थ चतुष्टयी के प्रवर्तक थे। वे जैन नहीं जिन थे, व्यक्ति नहीं संस्थान थे। अलौकिक व्यक्तित्व के धनी थे।
इस युग के प्रथम भिक्षाचर थे। भगवान ऋषभ को तेरह महिने व दस दिन के पश्चात आज के दिन भिक्षा प्राप्त हुई। लम्बे तप का पारणा हुआ। आदीनाथ की स्मृति में आज भी जैन समाज में हजारों हजारों भाई-बहन वर्षीतप कर रहे हैं।
साध्वीश्री ने आगे कहा पूज्य गुरुदेव की कृपा एवं ऊर्जा से चेन्नई में 25 वर्षीतप हुए हैं। अठारह तप साधक यहां पहुंचे हैं। हम सबके तप की अनुमोदना, वर्धापना, अभिवंदना करते हैं। हम तपस्वियों के आत्मबल, मनोबल, संकल्पबल की अनुमोदना करते हैं।
बलत्रयी व पारिवारिक सहयोग से ही सबका संकल्प पूरा हो रहा है। सपना यथार्थ हुआ है। आप सब निरन्तर तप के भव्य-रथ पर आरुढ़ होकर लक्षित मंजिल का वरण करें।
चेन्नई के श्री अशोक परमार, श्रीमती लता परमार, श्री अशोक बोकडिया, श्री विनोदजी छल्लाणी, श्री सुदर्शन सेठिया, श्रीमती चाँदकंवर बोकड़िया, श्रीमती भाग्यवती परमार, श्रीमती त्रिलोकसुंदरी संचेती, श्रीमती घीसीदेवी बम्बोली, श्रीमती प्रमिला बम्बोली, श्रीमती रेखा गुन्देचा, श्रीमती लता गुन्देचा, श्रीमती रतनी दुगड़, श्रीमती मदनदेवी पटावरी, श्रीमती मधुबाला बोथरा, श्रीमती भाग्यवती चौपड़ा, श्रीमती सुखीदेवी पीतलिया, श्रीमती प्रियंका आंचलिया श्री गौतमचन्द आच्छा, श्रीमती पिस्तादेवी आच्छा, श्रीमती मुन्नीदेवी सुराणा, श्रीमती शकुन्तलादेवी मेहता, श्री लालचन्द लूंकड़, श्रीमती विमलादेवी मुथा, श्रीमती सुबोध सेठिया ने भगवान ऋषभदेव की अभिवन्दना में वर्षीतप साधना में सलग्न हैं।
अंत में आध्यात्मिक मंगलकामना के साथ सभी को साध्वीश्री ने मंगल पाठ सुनाया।
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स्वरूप चन्द दाँती
श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, चेन्नई