गुरु गणेश मिश्री पावन धाम सुल्लूरपेठ के प्रांगण में परम पूज्य स्पष्ट वक्ता श्री कांति मुनि जी म. सा. एवं श्रमण संघीय उप प्रवर्तक परम पूज्य श्री पंकज मुनि जी म. स. के पावन सान्निध्य में 19 नवंबर को कर्नाटक गज केसरी घोर तपस्वी श्री गणेश लाल म.सा. की पावन जन्म जयंती गुणगान सभा एवं सामायिक दिवस के रूप मनाई जाएगी ।
उपरोक्त जानकारी देते हुए मुनि रत्न श्री रूपेश मुनि जी म. सा. ने फरमाया कि इस अवसर पर दक्षिण सूर्य पूज्य गुरुदेव डॉ. श्री वरुण मुनि जी म. सा. आदि संत जन कर्नाटक गज केसरी जी महाराज के जीवन पर विशेष रूप से अपने श्रध्दापुष्प अर्पित करेंगे।
विद्याभिलाषी लोकेश मुनि जी म ने बताया कि कर्नाटक गज केसरी घोर तपस्वी श्री गणेश लाल जी म.सा. का दक्षिण भारत पर विशेष उपकार रहा है, उनके तप त्यागमय जीवन पर सभी गुरू भक्तों की श्रध्दा जुडी हुई है। उनका नाम लेने मात्र से ही बिगडे हुए काम संवर जाते हैं, ऐसे महापुरुष की जन्म जयंती 19 नवंबर को रविवार प्रात: 9 बजे से साढ़े 10 बजे तक गुणगान सभा एवं सामायिक दिवस के रूप में मनाई जाएंगी।
गुरु गणेश गौशाला के मैनेजिंग ट्रस्टी श्रीमान् सा किशन लाल जी खाबिया ने सभी श्रध्दालु भाई बहनों से अपील करते हुए आह्वान् किया है इस दिन अधिक से अधिक संख्या में गुरू भक्तगण पावन धाम में पधारें एवं अपनी गुरू भक्ति का परिचय देते हुए गुरू चरणों में सामायिक आराधना के द्वारा श्रध्दापुष्प अर्पित करें l
उल्लेखनीय है कि इस अवसर पर सकल श्रीसंघ सुल्लूरपेठ, त्रिशला महिला मंडल, रोकेट विहार ग्रुप सूल्लूरपेठ के साथ- साथ चैन्नई एवं अन्य विभिन्न नगरों उपनगरों से श्रध्दालुजनो के पहुंचने की संभावना वक्त की जा रही है।
सुल्लूरपेठ में कर्नाटक गज केसरी घोर तपस्वी श्री गणेश लाल जी म. के नाम से एक ओर जहां गौशाला बहुत सुंदर ढंग से चल रही है, जिसमें 6 सौ गौवंश का पालन हो रहा है, वहीं दूसरी ओर जन जन की श्रध्दा का केन्द्र गुरू गणेश मिश्री पावन धाम का निर्माण भी खाबिया परिवार की ओर से किया गया है ।
जहां पर श्रध्दालुन आकर बडी श्रध्दा भक्ति से जाप करते हैं एवं कर्नाटक गज केसरी पूज्य श्री गणेश लाल जी म. सा. एवं मरूधर केसरी पूज्य श्री मिश्री मल जी म. सा. का आशीर्वचन एवं दिव्य अनूभूति प्राप्त करते है।
ऐसे पावन धाम में इस वर्ष जन्म जयंती बहुत ही सादगी के साथ जप- तप एव गौ सेवा के रूप में मनाई जा रही है। श्री युवा रत्न अभय जी खाबिया ने बताया इस अवसर पर अधिक से अधिक भाई बहनों को सामायिक व्रत की आराधना करनी है एवं गौसेवा के द्वारा अपने मानव जीवन को धन्य बनाना है।