दम्पत्ति कार्यशाला में दिये सफल जीवन के गूर
कोयम्बटूर: आचार्य श्री महाश्रमण की सुशिष्या साध्वी डॉ गवेषणाश्री व साध्वी मयूरयशा के सान्निध्य में “रब ने बना दी जोड़ी” विषय पर ‘दम्पत्ति कार्यशाला’ का भव्य आयोजन नक्षत्रा टावर, लायंस क्लब, कोयम्बटूर में शानदार उपस्थित में हुआ।
डा. साध्वी गवेषणाश्री ने कहा कि दो अनजान दिलों का साथ, दो आत्माओं का मिलन, दो दिलों का सफर का नाम है दंपत्ति। दम्पति- जिसमें प्रेम है, प्यार है, अपनत्व है, आनंद है, वत्सलता है, विनम्रता है। इस संबंध को बरकरार रखने के लिए तीन बिंदु को अपनाना जरूरी है –
(1) लेट गो- पति-पत्नी एक दूसरे की गलती को Let go करना सीखें।
(2) पत्नी या पति के गुणों को Highlight करे।
(3) Positive in Postive out को अपनाओ।
छोटी-छोटी बातों से ही जिंदगी में तकरार शुरू होती है। लेकिन समझदारी के साथ भगवान महावीर के अनेकान्त को स्वीकार करें।
साध्वीश्रीजी ने आगे कहा कि व्यक्ति जैसा बीज बोता है, वैसा ही फल पाता है। अपनी आत्मा ही सुख-दु:ख की कर्ता है। इसीलिए जो जैसी सेवा करता है, वैसा मेवा उसे प्राप्त होता है। वर्तमान में बूढ़े मां-बाप को आउट ऑफ डेट माने जाते हैं, वे आउट ऑफ होम में ही सुशोभित हो रहे हैं। जबकि उनके पास अनुभव का खजाना है। सीपियों में मोती की तरह उनके ह्रदय में आशीर्वाद भी दुआ छिपा हुआ है।
साध्वी मयंकप्रभा ने कहा- रिश्ता वह होता है जिसमें बात कम समझ ज्यादा होती है, तकरार कम प्यार ज्यादा और आस कम विश्वास ज्यादा होता है।
आचार्य धर्मसूरिश्वरजी की सुशिष्या साध्वी मयूरयशाजी ने कहा- दुनिया में बहुत सारे संबंध है। सभी संबंधों में कोई न कोई झगडा होता है। एक ही letter में कहे तो क्यूं? क्यों किया झगडा और इसका एक ही समाधान छौं किया। क्यूं का झगड़ा छौं में बदल दिजिये, तो पूरा जीवन से सुगन्ध भर जायेगा।
साध्वी-चैतन्ययशा ने कहा कि इन्सान गलती का पुतला होता है। पर उसे गलती न माने। आज डायवर्स (तलाक) के केस इतने बढ़ गये है कि सरकार को रोकथाम करनी पड़ रही है। साध्वी दशप्रभा ने सुमधुर गीतिका प्रस्तुत की।
कार्यक्रम की शुरुआत ज्ञानशाला ज्ञानार्थी मिस्टर आर्यन ने की। स्वागत भाषण में तेयुप अध्यक्ष मनोज बाफणा ने प्रभावी विचार रखे। नक्षत्रा महिला मण्डल ने ‘दम्पति ही सच्ची सम्पत्ति है’ भावपूर्ण गीतिका की प्रस्तुत दी। कोयम्बटुर तेरापंथ सभाध्यक्ष उत्तमचन्द पुगलिया, देवीलाल मण्डोत ने विचार रखे। उपासिका सुशीला बाफणा ने विषय पर प्रस्तुति दी।
संघ गायक नवीन नाहटा के सुमधुर स्वरलहरी ने जनसैलाब को भाव विभोर बना दिया। मंच का कुशल संचालन साध्वी मेरुप्रभा ने किया। रामलाल बुच्चा ने संपूर्ण जैन समाज व तेरापंथ समाज का धन्यवाद ज्ञापन किया। राजगुरु ट्रस्ट के अध्यक्ष जीतमल ओबानी ने विचार व्यक्त किए। इस दम्पत्ति कार्यशाला को सफल बनाने में भंवरलाल मरोठी, मोहनलाल बुच्चा, सम्पतलाल बाफणा, मनोज बाफणा, सुभाष बुच्चा, रामलाल बुच्चा, प्रकाश मरोठी आदि की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही।
समाचार सम्प्रेषक : स्वरूप चन्द दाँती