चेन्नई. कोडमबाक्कम-वड़पलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा ने कहा की देव गुरु के उत्तम सानिध्य को पाकर जो मनुष्य संसार से हट कर गुरु चरणों में समय देता है वह जीवन के साथ अपने समय को भी सार्थक कर लेता है। समय किसी भी मनुष्य का इंतजार नहीं करता है।
मनुष्य चाहे अपना समय संसार में लगाए या गुरु भगवंतों के चरणों में लेकिन समय उसका इंतजार नहीं करता। फर्क इतना है कि संसार में लगने वाला समय व्यर्थ हो जाता है और गुरु के चरणों में लगाया गया समय सफल हो जाता है। उन्होंने कहा जो आत्मा और जीवन उपयोगी कार्य करते हैं वे अपने समय को सार्थक कर लेते है।
जो पल बित जाता है वह वापस नहीं आ पाता है। मिले इस समय को अच्छे कार्याे में लगा देना चाहिए। उन्होंने कहा दुकान में कमाई होने पर लोगों का दिन अच्छा होता है और कमाई नहीं होने पर दिन बेकार हो जाता है। इस प्रकार से संसारिक व्यक्ति की सीमा खत्म नहीं होती है। उन्होंने कहा तन की भुख तो थोड़ी भी खाने से मिट जाती है लेकिन मन की भुख कभी नहीं मिटती है।
मनुष्य का मन अनंत है उसके इच्छाओं का अंत नहीं होता है। लेकिन ज्ञानी कहते है कि संतोष रखने से जो शांति मिलती है वे अन्य चीजों से नहीं मिलती है।
मनुष्य को अपने इच्छाओं पर काबू करना चाहिए, तभी शांति प्राप्त हो सकता है। लेकिन जीसके जीवन में समता आ जाती है उसके जीवन में सब कुछ आ जाता है।
अगर समता नहीं आई तो कुछ नहीं होता है। इसलिए मनुष्य को अपने कमाई से ध्यान हटा कर समाई में लगना चाहिए। जीवन मे आगे जाना है तो इन मार्गो पर चलना होगा।