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कथा के माध्यम से जीवन का सत्य जानने का मौका मिलता है : प्रवीण ऋषि

कथा के माध्यम से जीवन का सत्य जानने का मौका मिलता है : प्रवीण ऋषि

लालगंगा पटवा भवन में जैन धार्मिक शिक्षण बोर्ड के परीक्षा परिणाम घोषित

Sagevaani.com @रायपुर। धर्मसभा को संबोधित करते हुए उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि ने कहा कि कथा के माध्यम से जीवन के सत्य को पहुँचाने का काम होता है। श्रीपाल-मैनासुन्दरी की कथा उतार-चढ़ाव से भरी हुई है। इस कथा से हमें यह सीख मिलती है कि कितनी भी कठनाई आये, अपनी श्रद्धा कभी टूटने मत देना। श्रीपाल को नवकार महामंत्र पर विश्वास है, और मैनासुन्दरी को श्रीपाल पर विश्वास है। कथा को लेकर कई सवाल भी आते हैं, जैसे श्रीपाल ने कुबड़े का रूप क्यों धरा?

वह सामान्य रूप में भी तो जा सकता था? फिर उसने यह स्वांग क्यों रचा? उसने सभा में सबके गहने क्यों चुराए? और चुराने के बाद गहनों को वापस क्यों रख दिया? ऐसे कई सवाल धर्मसभा में पूछे गए। उपाध्याय प्रवर ने कहा कि यह कथा है, और इसमें रस भरने के लिए नाटक करने पड़ते हैं। श्रीपाल ने कुबड़े का रूप क्यों बनाया,इसके दो सन्देश हैं, कि उसे समय सम्मोहन विद्या मौजूद थी। और अगम के शब्दों में कहें तो यह भावित आत्मा है। भावित आत्मा इस कला से परिचत रहता है कि वह किसी का भी रूप धारण कर लेता है। वहीं श्रीपाल को खेल करना था, इसलिए उसने सबको बेहोश कर के उनके आभूषण निकाले। उक्ताशय की जानकारी रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने दी।

बुधवार को लालगंगा पटवा भवन में कथा को आगे बढ़ाते हुए उपाध्याय प्रवर ने कहा कि जब श्रीपाल का विवाह संपन्न हुआ तो उसके पास सन्देश आया कि कंचनपुर की राजकुमारी और उनकी 5 सहेलियों ने तय किया है कि जिसके साथ राजकुमारी का विवाह होगा उसी के साथ हम पांचों विवाह करेंगीं। राजकुमारी ने कहा कि जिसके साथ विवाह करना है, उसकी बुद्धि, चरित्र और सोच की परीक्षा लेनी है। समस्या पूर्ति काव्य का आयोजन किया। उसमे एक चरण दिया जाता है, और बाकी 3 चरणों की पूर्ति करनी पड़ती है। आखरी लाइन बता दी जाती है, और सामने वाले को पहले की 3 लाइन बतानी पड़ती है। समस्या पूर्ति कार्य में जवाब बता दिया जाता है, और सामने वाले को सवाल, और जवाब तक कैसे पहुंचना है वह बताना पड़ता हैl

श्रीपाल ने इस चुनौती को स्वीकार किया। श्रीपाल कंचनपुर पहुंचा, और उसने एक नया खेल खेला। उसने एक पुतले को रखा और उस प्रतिमा में जान डाल देता है। श्रीपाल राजकुमारी से कहता है कि तुम्हारे सवालों का जवाब तो यह पुतला भी दे सकता है। और एक एक कर के सारे सवालों के जवाब मिल जाते हैं। इसके बाद श्रीपाल के साथ राजकुमारी और उसकी 5 सहेलियों का विवाह हो जाता है। इसके बाद उसे सूचना मिलती है कि कोल्हापुर के राजा ने अपनी पुत्री के विवाह के लिए एक कसौटी रखी है, पुतली भेदन की। इसमें ऊपर घूम रही पुतली को भेदना था नीचे कढ़ाई में खौलते हुए तेल में देखते हुए। श्रीपाल ने अपने आप को इस कसौटी में भी खरा उतारा। इसके बाद उसने अपनी सभी रानियों को लेकर कंकूद्वीप पहुंचा। राजा ने उसका स्वागत किया और अपना राज्य सौंपा दिया।

श्रीपाल अपनी रानियों के साथ मजे से कंकूद्वीप के जीवन व्यतीत कर रहा था। अचानक रात में उसे मैनासुन्दरी की याद आई, और वह रात भर नहीं सो पाया। मैनासुन्दरी को याद करते हुए वह रोने लगा। रानियों ने जब देखा तो उन्होने पूछा, तो श्रीपाल ने उन्हें मैनासुन्दरी के बारे में बताया, कहा कि उसकी याद आ रही है। 12 वर्ष और अष्टमी का वचन देकर आया हूं। यह सुनकर सभी रानियां कहती हैं कि हमें अपनी बड़ी बहन से मिलना है, आप हमें उज्जैन ले चलें। और श्रीपाल के साथ सभी रानियां उज्जैन के लिए रवाना हो जाते हैं। वहां उज्जैन में मैनासुन्दरी अष्टमी का इंतजार कर रही है।

रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने बताया कि आज जैन धार्मिक शिक्षण बोर्ड के परीक्षा परिणाम घोषित हुए हैं। इस बोर्ड का गठन 2017 में हुआ था। उपाध्याय प्रवर की उपस्थिति में परीक्षा में प्रावीण्य सूची में आने वाले परीक्षार्थियों को सम्मानित किया गया। उन्होंने बताया कि 20 अक्टूबर से आयंबिल की ओली प्रारंभ होने वाली है। वहीं श्रीपाल-मैनासुन्दरी का प्रसंग 23 अक्टूबर तक चलेगा। इसके बाद 24 अक्टूबर से 14 नवंबर तक उत्तराध्ययन श्रुतदेव आराधना होगी जिसमे भगवान महावीर के अंतिम वचनों का पाठ होगा। यह आराधना प्रातः 7.30 से 9.30 बजे तक चलेगी। उन्होंने सकल जैन समाज को इस आराधना में शामिल होने का आग्रह किया है।

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