बेंगलुरु। अक्कीपेट जैन संघ में चातुर्मासार्थ बिराजमान आचार्यश्री देवेंद्रसागरसूरीश्वरजी ने शनिवार को अपने प्रवचन में कठिन से कठिन परिस्थिति में भी स्वयं को संयमित रखने का उपाय बतलाते हुए कहा कि जीवन की कठिनाईयों से निपटने का सबसे बेहतर तरीका यह है कि सबसे पहले आप इसकी उपस्थिति को स्वीकार करें।
उन्होंने कहा कि समस्याओं के बिना जीवन बिल्कुल वैसा ही होता है जैसे विरोधी टीम के बिना कोई मैच। विरोधी टीम के बिना खेल का अभ्यास तक नहीं कर सकते हैं। इसी प्रकार समस्याएं जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है।
उन्होंने कहा कि आप जब जीवन में समस्याओं का सामना करते हैं, तो सबसे पहले उन्हें स्वीकार करें और उसे उस अवसर के रूप में देखें जो आपकी छिपी ताकतों को सामने लाएगा।
अगर आप समस्या को स्वीकार लेते हैं तो इसे हल करने की ताकत का भी पता आप लगा लेंगे। आचार्यश्री ने यह भी कहा कि तैयारी बिल्कुल वैसे ही करें जैसे आप किसी खेल के मैच में किसी विरोधी टीम का सामना करने के लिए करते हैं।
खुद को सबसे पहले उन समस्याओं को स्वीकार करने के लिए तैयार करना चाहिये जो आपके नियंत्रण में नहीं है, ऐसी परिस्थितियों को स्वीकार करके, आप खुद को इसे आत्मसमर्पित नहीं कर रहे हैं बल्कि इससे निपटने के लिए रास्ते का निर्माण कर रहे हैं।