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ऐसी गलती मत करो, जिसे तुम सुधार न सको : प्रवीण ऋषि

ऐसी गलती मत करो, जिसे तुम सुधार न सको : प्रवीण ऋषि

नवकार कलश अनुष्ठान को दो दिन शेष…

Sagevaani.com @रायपुर। लालगंगा पटवा भवन में चल रही प्रवचन माला में उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि लेश्या का वर्णन कर रहे हैं। शुक्रवार को प्रवचन से पहले तीर्थेश मुनि ने अपने गीतों के माध्यम से धर्मसभा को बताया कि हमारी अंतरआत्मा में जो हलचल पैदा कर दे, वो तरंगें लेश्या है। जो व्यक्ति हिंसा करने से नहीं डरता, वो कृष्ण लेश्या वाला होता है। जो व्यक्ति अपना ही सुख चाहता है, और दूसरों के सुख से जलता है, वो नील लेश्या वाला होता है। जो अपने दुर्गुणों को छुपाता है, लेकिन औरों को दुर्गुणों को प्रकट करता है, वो कपोत लेश्या वाला होता है। उक्ताशय की जानकारी रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने दी है।

धर्मसभा को संबोधित करते हुए उपाध्याय प्रवर ने कहा कि कभी ऐसी गलती मत करो, जिसे तुम सुधार न सको। जैसी गलती द्रौपदी ने की थी। एक छोटा सा मजाक, एक व्यंग, कटाक्ष बन गया था दुर्योधन के लिए। उस व्यंग के कारण महाभारत का युद्ध हुआ था। हम कई काम अनजाने में कर जाते हैं, लेकिन उसकी भरपाई असंभव हो जाती है। लोग ऐसी दरारें पैदा कर देते हैं, जिन्हे भरना मुश्किल हो जाता है। यह चरित्र कपोत लेश्या का है। कपोत लेश्या वाला व्यक्ति हंसी हंसी में ऐसे भयंकर शब्द बोल देता है कि सामने वाला तिलमिला जाता है। ये व्यक्ति दूसरों को कमी को ऐसे उधेड़ते हैं, कि सामने वाला पक्का दुश्मन बन जाता है। कपोत लेश्या वाला अपने और दूसरों के लिए समस्या खड़ी करता है। और इसके परिणाम भयंकर होते हैं। जो नुकसान होता हैं, उसकी भरपाई मुश्किल होती है।

उपाध्याय प्रवर ने कहा कि कई बार ऐसा होता है कि व्यक्ति चाहते हुए भी मना कर देता है। भूख लग रही है, लेकिन अगर कोई पूछे तो कह देता है कि मुझे नहीं खाना है। और बाद में आग्रह करे तो ऐसा व्यवहार करेगा कि मन रखने के लिए खा रहा है। यह कपोत लेश्या का चरित्र है। कुछ आदतें हममें पहले से रहती है, लेकिन कुछ हम बना लेते हैं। हम ऐसे हो गए हैं कि कपोत लेश्या को व्यवहार का नाम दे दिया है। लोग इसे फॉर्मेलिटी कहते हैं, कोई पूछे तो मना कर देना। अरे भूख लगी है तो इसमें संकोच क्यों करना? उन्होंने बताया कि नीच लेश्या का चरित्र है ज्यादा मेहनत, कम फायदा और छोटी गलती, बड़ी सजा। छोटी से छोटी गलती के लिए अगर भयंकर सजा मिलती है तो गलती कृष्ण, नील अथवा कपोत लेश्या में हुई है।

लेश्या कैसे बदलें…

प्रवीण ऋषि ने कहा कि लेश्या में ब्रेक लगाने का पहला सूत्र है कायसर्ग और प्रतिक्रमण। आप उससे अलग हो जाएं, वापस लगाव न होने दें। अपनी आदत बदलें, आपमें क्या बुराई है, कौन सी बुरी आदत है, उसे पहचानिये। हम कई गलती बार बार दोहराते हैं, उसे सुधारने के लिए सूत्र लगा दें। नियम लागू करें। कपोत लेश्या से निकलना है तो कभी किसी की गलती के लिए उनके गुरु, माता-पिता को कटघरे में मत खड़ा करें। उनकी गलती के लिए उनके माता-पिता या गुरु को दोष मत दो। अपने से बड़ों का आदर करना सीखो, कभी बड़ों के सामने अहंकार मत करो, उनसे नजरें मिलाओ लेकिन भिड़ाओ मत।

नवकार कलश अनुष्ठान को दो दिन शेष…

रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने बताया कि नवकार तीर्थ कलश अनुष्ठान को अब केवल 2 दिन ही शेष हैं। नवकार तीर्थ कलश समिति के सदस्य तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुटे हुए है। इस अनुष्ठान से जुड़ने देश-विदेश से जैन बंधुओं के फोन आ रहे हैं। अब तक अमेरिका, लंदन, दुबई, ऑस्ट्रेलिया, से लगभग 100-150 श्रद्धालुओं के नाम आ चुके हैं। वहीं छत्तीसगढ़ समेत देशभर से भी सैकड़ों जैन बंधु इस अनुष्ठान में शामिल होने वाले हैं। उन्होंने बताया कि 1 अक्टूबर को 24 घंटों का नवकार महामंत्र जाप होगा। इसके बाद 2 अक्टूबर को नवकार कलश अनुष्ठान सुबह 7.30 से 9 बजे संपन्न होगा। अनुष्ठान के लिए पुरुषों को सफ़ेद और महिलाओं को लाल परिधान में आना है। अनुष्ठान में पति-पत्नी, माता-पुत्र, पिता-पुत्री, अथवा भाई-बहन, इनमे से कोई भी जोड़ा बैठ सकता है।

ललित पटवा ने बताया कि विदेश में बसे परिवारों के लिए इस अनुष्ठान से जुड़ने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था भी की गई है। अनुष्ठान के दिन उन्हें लिंक उपलब्ध कराया जायेगा, जिससे वे इस अनुष्ठान में अपने परिवार के साथ शामिल हो सकेंगे। वहीं नवकार कलश को सुरक्षित पहुंचाने के लिए भी रायपुर श्रमण संघ ने कूरियर की व्यवस्था की है, ताकि विदेश में बैठे जैन परिवारों तक यह कलश पहुंच जाए। पंचधातु नवकार कलश के लिए सहयोग राशि 3100 रुपए रखी गई है। नवकार कलश के लिए सकल जैन समाज के सदस्य लालगंगा पटवा भवन में संपर्क कर सकते है। नवकार कलश के लिएl

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