*☀️प्रवचन वैभव☀️*
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6️⃣2️⃣
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306)
एक ही लक्ष्य
देहनाश के पूर्व कर्मनाश.!
307)
कोई
व्यक्ति या देवता
न मेरा
दुख ले सकता हैं
न मुझे दुख दे सकता हैं.!
मेरे अंतर के
मलिन परिणाम ही
मेरे दुख का कारण हैं.!
308)
प्रभु
कहते है की
थोड़ा दुख सहन करलें
अनंत सुख भेट में मिलेगा.!
309)
बूंद मात्र
विषय भोग की
लालसा में अनंत
दुखो की कैद मिलेगी.!
310)
देह के
ममत्व का
त्याग होगा वही से
साधना का मंगल प्रारंभ होगा.!
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*प्रवचन प्रवाहक:*
*सूरि जयन्तसेन चरणरज*
मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा.
*🦚श्रुतार्थ वर्षावास 2024🦚*
श्रीमुनिसुव्रतस्वामी नवग्रह जैनसंघ
@ कोंडीतोप, चेन्नई महानगर