Share This Post

Featured News / Featured Slider / ज्ञान वाणी

एक समय में एक काम करने से मंजिल शीघ्र मिलेगी: पुज्य जयतिलक जी म सा

एक समय में एक काम करने से मंजिल शीघ्र मिलेगी: पुज्य जयतिलक जी म सा

पुज्य जयतिलक जी म सा ने जैन भवन रायपुरम में बताया कि एक समय में एक काम करे। सही ढंग के कार्य संपन्न होता है। अन्यथा काम सही ढंग से संपन्न होने की संभावना कम होती है। दो तीन काम साथ में करने से कोई भी कार्य सही समय पर संपन्न नहीं होता है। ज्ञानी जन कहते है एक समय में एक काम करने से मंजिल शीघ्र मिलेगी! आज व्यस्त जीवन में जो गड़बड़ हो रही है वह एक समय में अनेक करने से। गाडी चलाने वाला व्यक्ती यदि गाडी चलाते समय दो तीन कार्य साथ में करने से स्वयं भी दुखी होता है और दूसरों को भी दुःखी करता है!

पुण्यवानी साथ देती है तब तक सफलता मिल जाती है और पुण्यवानी क्षीण होने पर स्वयं भी घात को प्राप्त करता है और दूसरो को भी घात पहुँचाता है। जीव गलती करके मानता नहीं किन्तु उसके अन्तरात्मा को पता होता है कि वह क्या गलती कर रहा है! जिसके समय पर काम करने की आदत है उसके काम नहीं बिगड़ते !

निंद्रा को वश में करना बहुत कठिन है यहाँ तक कि भगवान महावीर भी एक घड़ी के लिए निद्र आ गई तो संकल्प कर लिया शयन नहीं करुंगा। लक्ष्य को साधने के लिए उन्होंने कठिन तपस्या आसन, मौन आदि करके निद्रा पर विजय प्राप्त की और घाती कर्म श्रय किया।

व्यक्ति जल्दी पहुँचने के चक्कर में नींद को अनदेखा कर गाड़ी चलाता रहता है। विवेक का उपयोग नहीं कर सकता है तो कहीं टकरा जाता है मृत्यु प्राप्त करता है और दूसरो को भी हानि पहुँचाता है स्वयं भी महान कर्मो का बंध कर लेता है।

भगवान कहते है साढ़े तीन हाथ देख कर चलो जिसको इन्दिर्यों और मन की एकाग्रता बढ़ती है! एक समय में एक काम करने की आदत से आपकी साधना बन जायेगी! आपको सामायिक जाप आदि में एकाग्रता बड़ेगी! कर्म की निर्जरा होगी! सूत्र आरी के समान कार्य करते है। यह मंत्र कर्मो को काटने का कार्य करते है! कर्मो के क्षीण होने से केवलज्ञान केवलदर्शन तक की प्राप्ती हो जाती है। जाप से जीव को अनंत कर्मों की निर्जरा हो जाती है। जप भी स्वाध्याय का एक अंग है जो आन्तरिक तप है निर्जरा का भेद है। भगवान कहते है 5 इन्दि्र्यो के 23 विषयों का शमन करो।

मन में विचारों, क्रोध, मान, माया के लोभ रहित चलना चाहिए। यदि मन शान्त है तो युग प्रमाण भूमि साफ दिखाई देगी ! आत्मा के आठ प्रकार है ! जो समय में जीव जिस उपयोग में गमन कर रहा है उस समय आत्मा उसमें बदल जाती है जेसे द्रव्य आत्मा, कषाय आत्मा, योगआत्मा, उपयोग अत्मा, ज्ञान आत्मा, दर्शन आत्मा, चारित्र आत्मा, वीर्य आत्मा!

आगामी कार्यक्रमों की सुचना मंत्री नरेंद्र मरलेचा ने दी।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar