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ज्ञान वाणी

एक अच्छी आदत हमें अपने लक्ष्य तक पहुंचा देती है: संयमरत्न विजय

एक अच्छी आदत हमें अपने लक्ष्य तक पहुंचा देती है: संयमरत्न विजय

चेन्नई. साहुकारपेट स्थित राजेन्द्र भवन में विराजित मुनि संयमरत्न विजय ने युवाओं को ‘मोटिवेशन मर जाता है, हैबिट्स जिंदा रहती हैं  विषय पर उद्बोधन देते हुए कहा जीवन में पड़ी हुई आदतों को यदि हम सुधार लें तो जिंदगी की सारी समस्याएं समाप्त हो जाएं। एक अच्छी आदत हमें अपने लक्ष्य तक पहुंचा देती है। धन कमाएं तो दुआओं के साथ कमाएं, किसी को दर्द पहुंचा कर नहीं। धन यदि नीति का होगा तो अन्न भी सात्विक होगा, अन्न सात्विक तो मन भी सात्विक, मन सात्विक तो तन सात्विक और तन सात्विक तो जीवन भी स्वस्थ व सात्विक होगा।

 

जब हमें किसी से कोई मोटिवेशन मिलता है तो वह थोड़े समय के लिए ही रहता है, फिर मर जाता है और मोटिवेशन के मरते ही जोश भी ठंडा प? जाता है। फिर वही जिंदगी जीने लगते हैं जो पहले से जीते आए हैं। प्रेरणा का पलायन होते ही आदतें जिंदा हो जाती हैं। आदत कोई भी हो, वह लंबे समय तक चलती है, क्योंकि वह मोटिवेशन नहीं, आदत होती है। यदि हम अपने सपने साकार करना चाहते हैं तो हमें कुछ अच्छी आदतों को अपनाना होगा। यदि हम सोचें कि जैसा चल रहा है, वैसे चलने दें, तो हम सफल नहीं हो सकते।

 

ज्यादा जानकारी से ही ज्यादा विचार आते हैं और ज्यादा विचार से ही हम तनावग्रस्त हो जाते हैं। हम वही देखें, सुनें व वही पढ़ें जैसा हम अपना भाग्य चाहते हैं। दूसरों की कमजोरी सुनते रहने से एक दिन हम खुद ही उस कमजोरी का हिस्सा बन जाते हैं। किसी भी आदत को बदलने के लिए आदत को मिटाने की जरूरत नहीं, यदि हम दूसरी आदत बना लेंगे तो वह स्वत: ही मिट जाएगी। कोई बड़ी अच्छी आदत लगने पर छोटी आदत स्वत: ही छूट जाती है। माना हजार वजहें हंै, जिनमें हम कुछ नहीं कर पाते, पर एक वजह तो हम ढूंढ़ सकते हैं जिसमें हम कुछ कर सकते हैं।

हमें जिंदगी को काटना नहीं अपितु जीना है। घर के पास चौखट की मर्यादा है, नदी के पास किनारे की, पतंग के पास धागे की, खिलाड़ी के पास क्रीज की मर्यादा होती है, वैसे ही हमारे जीवन में सदाचरण की मर्यादा होनी चाहिए। जिसके पास मर्यादा भी है और मस्ती भी, उसी का नाम स्वतंत्रता है। जहां मर्यादा है पर मस्ती नहीं, वह बंधन है, जहां मस्ती है,पर मर्यादा नहीं तो वह स्वच्छंदता है। इस मौके पर जालोर  विधायक अमृता मेघवाल ने मुनिद्वय के दर्शन-वंदन किया। श्री संघ द्वारा उनका सम्मान किया गया। शिविर के बाद भीनमाल के रामलाल तेजराज संघवी की ओर से स्वामी भक्ति का आयोजन किया गया।

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