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एकाग्रता से जिनवाणी सुनो वह स्वाध्याय है

एकाग्रता से जिनवाणी सुनो वह स्वाध्याय है

आत्म कल्याण के लिए आगम के माध्यम से मोक्ष मार्ग की प्ररूप की उसके दो मार्ग बताएं, एक संसार का मार्ग दूसरा मुक्ति का मार्ग दोनों की दिशाएं अलग-अलग हैl संसार में राग है मुख्य मार्ग में विराग है संसार में भोग है मोक्ष मार्ग में त्याग हैl संसार में खाना पीना है मौज मजा आदि सब कुछ है पर मोक्ष मार्ग में तप त्याग व्रत नियम है दोनों का रास्ता अलग-अलग हैl संसार मार्ग से मुक्ति की राह पर आना तीन रात को छोड़ना जरूरी हैl

पहला राज्य शरीर का संसार की जन्मभूमि राग है पर यह राग आत्मा के अंदर प्रवेश करता है तो जीव को पता ही नहीं चलताl दूसरा राग संबंधियों का यह मेरी पत्नी यह मेरा परिवार इस संबंधियों के बंधनों में बंध जाता हैl इसके कारण जिंदगी के अमूल्य समय का भोग दे देता है तीसरा राग संसार का राग मेरा संसार हरा भरा हो पद पैसा प्रतिष्ठा सारे संसार में छा जाएl यह तीनों भी राग छोड़ने जैसा है जो छोड़ता है वह कुछ ना कुछ पता ही हैl आपने घर छोड़ा तो स्थानक में आए टीवी को छोड़ा तो जिनवाणी का लाभ मिला कीमत दे दो तो माल मिलेगाl

एकाग्रता से जिनवाणी सुनो वह स्वाध्याय हैl भगवान ने भी अपने जीवन में तीन संकल्प लिए थेl इच्छा में चलना नहीं कषाय में जाना नहीं प्रमाद मे पडना नहीं अगर इच्छा खड़ी हो जाए तो उसे पर कंट्रोल करना जरा भी कषाय आ जाए तो उसको निकाल देनाl प्रमाद आ जाए तो जीवन में जागृति लाना हमने कौन सा संकल्प किया है चिंतन करना है आगे बढ़ना हैl साध्वी धैर्योश्रीजी ने बताया संचालन श्री अशोकजी बाठिया ने किया।

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