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ज्ञान वाणी

ऊंचाईयों पर ले जाते है जीवन के संस्कार

चेन्नई. साहुकारपेट के जैन स्थानक में विराजित जयधुरंधर मुनि ने कहा कि मनुष्य के जीवन का कोई ठिकाना नहीं है। जीवन और मरण दो पहलू है। आत्मा अमर है और शरीर बदलती रहती है। उन्होंने कहा कि मनुष्य का जीवन अनमोल है इसलिए जीवन में दूसरों के प्रति अच्छी भावना रखनी चाहिए। मनुष्य के अच्छे संस्कार ही उसे ऊंचाईयों तक पहुंचाने का कार्य करते है।

धन पानी की तरह होता है, आता है और जाता है। लेकिन मनुष्य द्वारा किया गया कार्य उसके नहीं रहने पर भी लोगों में जिंदा रहता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य को कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए। दुनिया में कुछ रहे या ना रहे लेकिन मनुष्य का घमंड तो कभी भी नहीं टिकता है। रिश्ते नाते और परिवार सिर्फ इसी भव के है।

मनुष्य के जाते ही सारे रिश्ते अपने आप ही टूट जाते है। धर्म आराधना कर जीवन को सफल बनाने का प्रयास करते रहना चाहिए। ऐसा करके मनुष्य का जीवन सफल हो सकता है।

जयकलशमुनि ने एक गीत प्रस्तुत कर जीवन के कटु सत्य के बारे में लोगों को बताया। इस मौके पर अध्यक्ष आनंदमल छल्लाणी और संघ के पदाधिकारी उपस्थित थे।

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