कोलकाता. गोवर्धन मठ, पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज, उनके निजी सचिव स्वामी निर्विकल्पानंद, ऋषिकेश ब्रह्मचारी, पीठ परिषद के महासचिव प्रेमचन्द्र झा ने श्रद्धालु भक्तों के साथ सत्संग भवन, कोलकाता से गंगासागर प्रस्थान किया। शंकराचार्य निश्चलानंद ने आशीर्वचन में कहा कि संसार में देवपूजा के उद्देश्य से पुराणों में देवताओं को सृष्टि की संरचना करने वाला, पालन करने वाला और संहार करने वाला अर्थात ब्रह्म माना गया है।
मनुष्य किसी भी देव को पूजे, उपासना एक ब्रह्म की होती है, क्योंकि पंचदेव ब्रह्म के ही प्रतिरूप हैं और भक्तों को मनोवांछित फल भी देते हैं। सूर्य, विष्णु, शिव, गणेश और शक्ति पंचदेव हैं, श्रद्धालु भक्त आस्था – श्रद्धा के साथ इनकी आराधना करते हैं। वेद – पुराणों में पंचदेवों की उपासना को महाफलदायी बताया गया है। पंचदेव – पंचभूतों आकाश, वायु, जल, अग्नि और पृथ्वी के अधिष्ठाता हैं।
भगवान विष्णु अर्थात सबमे व्याप्त, भगवान शिव यानि कल्याणकारी, भगवान श्रीगणेश अर्थात सभी गुणों के स्वामी, सूर्य अर्थात सर्वगत एवं शक्ति अर्थात सामर्थ्य। भगवान विष्णु के उपासक वैष्णव, शिव के उपासक शैव, श्रीगणेश के उपासक गाणपत्य, सूर्य के उपासक सौर और शक्ति के उपासक शाक्त कहलाते हैं। शंकराचार्य ने अमरत्व की भावना, वेद – पुराण, ऊँकार की महिमा, मानव जीवन में कर्म की प्रधानता पर अपने सारगर्भित प्रवचन में कहा कि भौतिकता की धारा में बहने वाले मनुष्य उत्कर्ष को प्राप्त नहीं कर सकते।
शंकराचार्य के पंचविंशति वर्षपूर्ति पट्टाभिषेक महोत्सव के उपलक्ष में सत्संग भवन में आयोजित समारोह में राज्य की मंत्री डॉ. शशि पांजा, पंडित लक्ष्मीकान्त तिवारी, आचार्य श्रीकान्त शास्त्री, पार्षद मीना पुरोहित, हर्षवर्धन रुईया, डॉ. प्रेमशंकर त्रिपाठी, पुरुषोत्तम दास मिमानी, कृष्ण कुमार सिंघानिया, राजेश सिन्हा, अशोक झा, राधेश्याम गुप्ता, जगमोहन बागला, विजय निगानिया, सुरेन्द्र चमडिय़ा, गौरीशंकर कालुका, नरेश अग्रवाल, अविनाश गुप्ता एवं सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने शंकराचार्य का अभिनन्दन किया।
समारोह के संयोजक राजेन्द्र कुमार सोनी ने संचालन किया। श्री गोवर्धन गौशाला, पुरी के अध्यक्ष मूलचन्द राठी, तीर्थयात्री सेवा शिविर के सचिव महेश आचार्य, संजय सांगानेरिया, प्रदीप बागड़ी, गोकरण शोरेवाल, चंद्रकान्त झा, उषा गुप्ता, मुकेश चतुर्वेदी, शिवनारायण बाहेती, राजकुमार मुंधड़ा, विनोद झा, बृजमोहन खरकिया सक्रिय रहे