चेन्नई में श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ, तमिलनाडु के तत्वावधान में उपाध्याय मानचन्द्रजी म.सा का 90 वां जन्म दिवस स्वाध्याय भवन, साहूकारपेट में स्वाध्याय दिवस के रुप में मनाया गया | वरिष्ठ स्वाध्यायी वीरेन्द्र कांकरिया ने पच्चीस बोल के अन्तर्गत पुण्य के नौ भेदों का अर्थ सहित विस्तृत विवेचन किया |
वरिष्ठ स्वाध्यायी बन्धुवर श्री लीलमचंद बागमार ने स्वरचित स्तुति को भावसहित सुनाते हुए उपाध्याय भगवन्त के गुणगान किये |
कोषाध्यक्ष श्री गौतमचंदजी मुणोत व गुरुभक्त श्री कान्तिलालजी तातेड़ ने उपाध्यायश्री के जीवन के प्रसंगो का चित्रण धर्मसभा में किया |
श्रावक संघ तमिलनाडु के कार्याध्यक्ष आर नरेन्द्रजी कांकरिया ने सूर्यनगरी जोधपुर में श्री अचलचन्दजी व छोटादेवीजी सेठिया के यहां जन्म लेने वाले बालक मान के बचपन युवा अवस्था व वैराग्यमय जीवन के संस्मरणों का धर्मसभा में उल्लेख करते हुए कहा कि जैनाचार्य हस्तीमलजी म.सा के मुखारविन्द से जोधपुर के सरदार स्कूल में उन्होंने अपने सहपाठी मगनराज मोहनोत के साथ भागवती दीक्षा अंगीकार की व बड़ी दीक्षा गुरुदेव के मुखारविन्द से मुथाजी का मन्दिर, नागोरी गेट,जोधपुर में हुई |
उनके गुरु हस्तीमलजी म.सा ने उनके पुरुषार्थ व विद्धवता की परख करते हुए पण्डित रत्न की उपाधि से विभूषित किया | उपाध्याय प्रवर मानचंद्र के ऋजुता, सरलता, सहजता, कषायमन्दता, विद्ववता, मधुरभाषिता, कालोकाल नियमितता, आत्मार्थीता प्रशान्तमनता आदि विशिष्टता आदि गुणों के संस्मरण के प्रसंग जो मधुरव्याखानी श्री गौतममुनिजी म.सा व श्री जितेंद्रमुनिजी म.सा ने फरमाये थे,उन संस्मरणों का विस्तृत उल्लेख कार्याध्यक्ष ने धर्मसभा में किया |
संघ के उपाध्यक्ष अम्बालालजी कर्णावट, रुपराजजी सेठिया, दीपकजी – योगेशजी श्रीश्रीमाल, नवरतनमलजी चोरडिया आदि की उपस्थिति उपाध्याय मानचन्द्रजी म.सा के जन्मजयंती के अवसर पर प्रमोदजन्य रही | उपस्थित श्रद्धालुओं ने नवकार चालीसा- मानचालीसा के संग ” उपाध्याय मान महान हैं,जिनशासन की शान हैं त्यागी व वैरागी उत्तम साधु की पहचान हैं ” प्राथना से स्तुति की | सामूहिक प्रत्याख्यान,जैन व जीवन संकल्प के पश्चात मांगलिक वीरेन्द्रजी कांकरिया ने दी |