जैन दिवाकर महासती श्री कमला वती जी म. सा की सु शिष्या उप प्रवर्तीनी संथारा प्रेरक महासाध्वी गौरव श्री सत्य साधना जीमा. सा. आदी ठाना 7 का चातुर्मास अंबेश भवन में गतिमान है।
आज उपाध्याय प्रवर पूज्य गुरुदेव केवल मुनि जी की जन्म जयंती होने से महासती जी ने सुख के प्रकार पर प्रवचन माला में वीराम देते हुए केवल मुनि जी के बारे में जानकारी देते हुए बताया की पूज्य श्री का जन्म कोशीथल गांव में सवंत 1970 में श्रावण मास की तेरस के दिन माता कुंकु बाई के गर्भ से पिता जवाहर लाल जी भंडारी के घर हुआ। आप श्री के एक छोटे भाई भी हुए । आप श्री की अल्पायु में ही पिता का साया दूर हो गया। आप की माता जी ने दोनो पुत्रो को अच्छे धार्मिक संस्कार देते हुए पालन पोषण किया।
उसी वजह से उनमें वैराग्य पैदा हुआ और आप ने मात्रा 11वर्ष की आयु में जैन दिवाकर गुरुदेव चौथमल जी मसा के सानिध्य में सन्यास ग्रहण किया। आप श्री के साथ में ही आपकी माताजी और छोटे भ्राता बंशीलाल जी ने भीसंवत 1981में फागण सुद 5के दिन दीक्षा ग्रहण की। आप बड़े ही होनहार संत थे। इसी वजह से श्रमण सा संघ के पूना सम्मेलन में उपाध्याय पद से विभूषित किया गया। आप श्री ने लगभग 150 किताबे लिख कर जैन समाज की महती सेवा की है।
आप श्री नेकश्मीर से कन्या कुमारी तक पूर्ण भारत में भ्रमण कर धर्म का प्रसार किया। आप श्री ने अलसुर कर्नाटक में अंतिम विदाई ली। आज का दिन सामायिक दिवस के रूप में मनाया गया।