Share This Post

Featured News / Featured Slider / ज्ञान वाणी

उपदेशक खुद भी कर्म से मुक्त होवे ओर दुसरो को भी मुक्त होने का उपदेश करे: प्रकाश मुनि जी महारासा

उपदेशक खुद भी कर्म से मुक्त होवे ओर दुसरो को भी मुक्त होने का उपदेश करे: प्रकाश मुनि जी महारासा

*सौभाग्य प्रकाश संयम सवर्णोत्सव चातुर्मास खाचरोद*

🔅🔅🔅🔅🔅

*व्यख्यान सारांश*

परमात्मा कहते है कि *उपदेशक निर्वाण* का उपदेश करे निर्वाण अर्थात *मुक्ति का* उपदेश करे यह बात बताते हुए *पूज्य प्रवर्तक श्री प्रकाश मुनि जी महारासा* ने फरमाया कि मुक्ति यानी कर्मो से मुक्ति, उपदेशक खुद भी कर्म से मुक्त होवे ओर दुसरो को भी मुक्त होने का उपदेश करे।

बाह्य ओर आंतरिक पुद्गलों मन, वचन काया से कर्म बंध होता है , कर्म दूध में पानी के समान आत्म प्रदेश में कर्म मीले है, आत्म प्रदेश भारी हो तो 7 ओर18 वर्ष की उम्र में मासकक्षमण तप कर लेते है , प्रत्यक्ष द्रष्टा गजसुकुमाल की आत्म शक्ति प्रबल…. ओर हमारी मोह शक्ति भारी ओर आत्म शक्ति कमजोर । *आत्म शक्ति प्रबल हो तो मोक्ष को प्राप्त कर सकते है*

जो ममत्व शील होता है वह भेद विज्ञान को प्राप्त नही कर सकता है । भेद विज्ञान यानी में (आत्मा)अलग शरीर अलग। भेद विज्ञान जब तक प्रकट नही होगा तब तक *मोक्ष* प्राप्त नही होगा ।

आत्म शक्ति प्रबल होती है वह देह से ममता छोडता है, भेद विज्ञान को जानो!!

यहां कोई किसी का नही है , यह तब तक है जब तक साथ मिल रहा है । बंधु जन *बंधन* रूप है , विषय *विष* रूप है .. महान आश्चर्य इंसान इनसे प्रेम करता है , *मोह* में उलझा है!!

सबसे बड़ा दुश्मन हमारा शरीर है, धोखा शरीर देता है , शरीर किसका साथ छोड़ता है? *खुद का*

90 % टाइम शरीर के लिए जा रहा है! मिला क्या? आंखे खराब हुई चश्मा लगा लिया, कान खराब हुए मशीन लगा ली….उसके बाद भी शरीर धोखा दे देता है।।

दिन भर दौड़ लगा रहे हो किसके लिए?

*जिंदगी में कितनो कमानों जरा सरवाडॉ जोड़े रे*

जिंदगी का हिसाब करना तुमने क्या किया? आखरी में

*मंडाया में कोई शेष नही, अवशेष रह गया*

चिन्तन करो , अंदर की *आसक्ति तोड़ो* यह मुक्ति का द्वार है। ममत्त्व आसक्ति भाव तोड़ना है

♾️♾️♾️♾️♾️♾️♾️

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar