हमारे भाईन्दर में विराजीत उपप्रवृत्तिनि संथारा प्रेरिका सत्य साधना ज गुरुणी मैया आदि ठाणा 7 साता पूर्वक विराजमान हैl वह रोज हमें प्रवचन के माध्यम से नित नयी वाणी सुनाते हैं, वह इस प्रकार हैंl
बंधुओं जैसे कि उत्साह से किया कार्य स्वर्ग का द्वारा होता हैl हम उत्साह से यह काम कर जाए किसी से रिश्ता रखें या चाहे साधना में बैठे यदि हम उत्साह और उमंग के साथ काम करेंगे तो उसके परिणाम भी उत्साह और उमंग के ही होंगेl अगर भोजन मरे हुए मन से कुत्सित मन से यदि भोजन भी करेंगे तो भोजन भी बेशवादी लगेगा और रसगुल्ला भी नहीं रस्सी लगेगा फूल को सुघना भी हमें पत्थर सुनने की तरह लगेगाl
उत्साह भाव के साथ ही जीवन को दिया जाए और उत्साह भाव के साथ ही अपने कर्म योग को संपादित किया जाl व्यक्ति जब सांस को घर लौटता है तो थक्का हर आता है और पत्नी से कहता है बहुत थक चुका हूं तब यह समझ लीजिए यह बात वह व्यक्ति रहेगा जो अपने घर बेमन से निकला थाl वही दूसरा व्यक्ति दिन पर मेहनत करके जब अपने घर लौटता है तो आते ही अपने बच्चों को प्यार करता है पत्नी से मुस्कुरा कर बोलता है तो इतना करने से मात्र से ही उसके दिन भर की थकावट दूर हो यही तो है हमारे जीवन की कलाl
जिससे हम जिस भाव से जिस उत्साह से इस कार्य को करना चाहेंगे वह कार्य उतना ही परिणाम दी होगाl उत्साह भाव से किया गया हर कार्य स्वर्ग का द्वारा होता है जबकि निराशा तथा भजन मां से किया गया कार्य नरक की फसलता बन जाता हैl इसलिए मेरे प्रिय आत्मन अपनी जिंदगी में हम जिसे हर हालत में समझो कर रख सकते है वह यह हमारा उत्साह है इसी उत्साह के साथ ही जीवन जीए यही जिंदगी हैl
इन्हीं शुभ भाव के साथ जय जिनेंद्र जय महावीर कांता सिसोदिया भाईंदर 🌈🌈🌈🌈🌈