चेन्नई. कोडमबाक्कम-वड़पलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा ने कहा मनुष्य की राग द्वेष की भावना ही उसके भवों का नाश कर रही है। सुद्ध भाव से मनुष्य अपने जन्म मरण के चक्कर को समाप्त कर सकता है।
ऐसा करने के बजाय लोग अपनी गलत भावना की वजह से अनंतकाल से भटक रहे हैं। उन्होंने कहा हिन्दू धर्म के अंदर सुद्ध भावना को भक्ति कहा गया है। भक्ति के जरिये मनुष्य परमात्मा के दर्शन कर सकता है। भावना भक्ति में बहुत शक्ति छिपी होती है।
सच्ची भावना अगर भक्ति में दिखे तो जीवन का कल्याण हो सकता है। लेकिन राग द्वेष की भावना से मानव अपने मोक्ष के दरवाजों को बंद कर देता है। उन्होंने कहा कि मोक्ष की प्राप्ति के लिए बहुत सारे महान पुरुषो ने राज सिहांसन का सुख भी छोड़ दिया था।
लेकिन मनुष्य झूठे सांसारिक सुख को नही त्याग पा रहा है। प्रभु के प्रति तड़प होने पर मानव जन्म मरण के चक्कर को दूर कर सकता है। आज के समय मे मनुष्य की भावना सच्ची नही दिखती है।
जब मनुष्य उत्कृष्ट भाव से परमात्मा को पुकारता है तो उसकी आवाज अवश्य सुनी जाती है। उन्होंने कहा कि जब बरसात होती है तो नीचे पृथ्वी के अंदर घुटन होती है। उस समय घुटन की वजह से जमीन में रहने वाले जीव बाहर निकल जाते है।
उसी प्रकार से संसार के प्राणी संसार से तब बाहर निकलेंगे जब उन्हें घुटन होगी। जब तक यह घुटन नही होगी मनुष्य संसार के जन्म मरण में फसा रहेगा। वर्तमान में मनुष्य घुटन में भी आनंद से जीवन यापन कर रहा है।
लेकिन जिनकी भावना उत्कृष्ट होगी वो इस घुटन से बाहर निकल जाएंगे। घुटन को सहते हुए जीवन को नर्को में डालने से अच्छा है कि उससे बाहर आकर मोक्ष की प्राप्ति कर लें।
संचालन मंत्री देवीचंद बरलोटा ने किया