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उच्च कोटि के महान साधक थे गुरूदेव श्री सुमतिप्रकाश महाराज

उच्च कोटि के महान साधक थे गुरूदेव श्री सुमतिप्रकाश महाराज

 माम्बलम (टी.नगर-चेन्नई) स्थानक में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन

Sagevaani.com /Chennai: श्रमणसंघीय वरिष्ठ सलाहकार आयम्बिल तप के महान आराधक राजऋषि पूज्य गुरूदेव श्री सुमतिप्रकाशजी महाराज के देवलोकगमन पर श्री एस. एस. जैन संघ के तत्वावधान एवं जिन शासन प्रभावक श्री वीरेंद्रमुनिजी महाराज के सान्निध्य में रविवार सवेरे बर्किट रोड़ स्थित जैन स्थानक में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन रखा गया।

        सवेरे 7.30 बजे से सामायिक साधना के साथ सामूहिक जाप का आयोजन हुआ। तदनन्तर श्री मरूधर केसरी जैन वैयावच्च सेन्टर से श्रद्धांजलि सभा में पधारे मुनिश्री वीरेंद्रमुनिजी म.सा. ने गुरूदेव श्री सुमतिप्रकासजी महाराज के व्यक्तित्व कृतित्त्व व संयम जीवन पर गुरूदेव के जन्म से लेकर महाप्रयाण तक का सारगर्भित वर्णन सभा को बताया और कहा कि मुनि श्रीसुमतिप्रकाशजी महाराज जन्म से तो जैन नहीं थे लेकिन कर्म से जैन धर्म को अपना कर भागवती जैन दीक्षा अंगीकार की एवं दीर्घ तप जप आयम्बिल एवं मौन साधना के साथ 64 वर्ष तक संयम जीवन को पाल कर संथारा सहित देवलोकगमन हुए। साथ ही उन्होंने श्रमण संघ के प्रथम युवाचार्य मधुकर मुनीजी महाराज को भी श्रद्धा सुमन अर्पित किए। श्री एस.एस.जैन महिला मण्डल से शिक्षिका श्राविका मंजू मूथा, दादावाड़ी ट्रस्ट से श्री अशोकजी तातेड़ ने भी अपनी भावांजलि व्यक्त की।

       संघ अध्यक्ष श्रावक डॉ. एम. उत्तमचन्द गोठी ने- जननी जने तो ऐसा जने के दाता के सूर, नी तो रिजे बांझडी, मति गवा जे नूर, से अपने वक्ततव्य को प्रारम्भ कर गुरूदेव श्री सुमतिप्रकाशजी महाराज को एक उच्च कोटि का महान साधक बताया और कहा कि माम्बलम श्री संघ पर उनके अनन्त उपकार है जिस से उऋण होना अत्यंत ही कठिन हैं। गुरू सुमति-विशाल की कृपा दृष्टि से ही माम्बलम क्षेत्र में 32 वर्ष पूर्व जैन स्थानक बना और युवा वर्ग द्वारा सुमति विशाल डायलेसिस सेन्टर एवं श्री संघ के तत्वावधान में कई परोपकारी योजनाएं सुचारू रूप से गतिमान है।

डॉ.गोठी ने बताया कि गुरूदेव श्री सुमतिप्रकाशजी महाराज ने जिस जैन नगर मेरठ स्थानक में वर्ष 1959 में भगवती जैन दीक्षा अंगीकार की संयोग से उसी मेरठ के जैन स्थानक में 64 वर्ष का लम्बा दीक्षा पर्याय पालकर अपना तीसरा व अंतिम मनोरथ पूर्ण करते हुए संथारा सहित देवलोकगमन को प्राप्त हुए। 50 वर्ष से भी अधिक समय तक वो एकान्तर आयम्बिल तप की आराधना में लीन रहे एवं आचार्य न होते हुए भी 100 से अधिक भव्य आत्माओं को दीक्षा पाठ प्रदान किया।वाचनाचार्य , नेपाल हिन्द गौरव डॉ विशलमुनिजी महाराज, उत्तरभारतीय प्रवर्तक, राष्ट्र संत श्री आशीष मुनीजी महाराज, नवकार साधक श्री विचक्षण मुनीजी म.जैसे कई अनमोल हीरों को नेपाल जैसे देश से आकर्षित कर जैन धर्म से जोड़ जिनशासन की अदभुत व महती प्रभावना की तथा श्रमण संघ व गुरु निहाल परिवार के नाम को रोशन किया।

       श्रदांजलि सभा का संचालन श्रावक महेन्द्रकुमार गादिया ने किया एवं मुनिश्री वीरेंद्रमुनि एवं आगंतुक सभी गुरू भक्तों का आभार प्रकट किया। इस मौके पर सैदापेट, कोडम्बाक्कम विरुगंबाक्कम,पुरूषवाक्कम,अयनावरम, अलवारपेट, रॉयपेटा आदि आदि अनेक उपनगरों एवं माम्बलम- टी.नगर के श्रद्धालु भक्तजनों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कर दिवंगत मुनिश्री को श्रद्धांजलि अर्पित की।

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