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इस बहुमूल्य जीवन में कंकड़ पत्थर चुनना है तो धन और हीरे जवाहरात चुनना है तो धर्म कमाओ: साध्वी नूतन प्रभाश्री जी

इस बहुमूल्य जीवन में कंकड़ पत्थर चुनना है तो धन और हीरे जवाहरात चुनना है तो धर्म कमाओ: साध्वी नूतन प्रभाश्री जी

साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने बताया कि गृहस्थ धन और साधु संन्यासी को रहती है ज्ञान की तलाश

शिवपुरी। भगवान महावीर स्वामी ने उत्तराध्यन सूत्र में वर्णित अपनी अंतिम देशना में स्पष्ट किया है कि इस बहुमूल्य जीवन में यदि हमें कंकड़ पत्थर और हीरे जवाहरात चुनने के दोनों विकल्प मौजूद हैं।

संसार में आकर धन कमाने को प्राथमिकता दी तो धन इस जीवन में भी समाप्त हो सकता है, लेकिन यदि धर्म और ज्ञान के रास्ते पर आगे बढ़े तो इस जीवन के बाद भी यह लक्ष्मी आपके साथ जाएगी। उक्त उद्गार प्रसिद्ध जैन साध्वी नूतनप्रभाश्री जी ने स्थानीय पोषद भवन में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किए। साध्वी नूतन प्रभाश्री जी उत्तराध्यन सूत्र के चौथे अध्याय असंस्कृत जीवन पर अपने विचार व्यक्त कर रही थीं। धर्मसभा में साध्वी जयश्री जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि नारी नारायणी तब बनती है जब वह अपने सतीत्व और सदाचार के गुण को जाग्रत कर लेती है।

साध्वी वंदनाश्री जी ने प्रेम की महिमा को रेखांकित करते हुए भजन गाया कि एकता और प्यार से खुशहाल हो ये जग सारा, प्यार का दीपक विश्वास की ज्योति दिलों में तुम जगा दो। धर्मसभा में सवाई माधौपुर संघ के अध्यक्ष श्री प्रेमचंद्र जैन, बजरिया संघ के अध्यक्ष गौतम जैन और उज्जैन नमक मण्डी संघ के अध्यक्ष चंद्रप्रकाश गादिया का जैन श्रीसंघ के अशोक जैन, राजकुमार श्रीमाल, मुकेश भांडावत और मोती कर्णावट ने स्वागत किया।

साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने स्पष्ट किया कि संसार में साधक का झुकाव धर्म की ओर तथा गृहस्थ का धन की ओर होता है। उन्होंने धन की सीमाएं स्पष्ट करते हुए कहा कि एक तो कमाया हुआ धन इस जीवन में भी नष्ट हो सकता है और मृत्यु के बाद तो सब कुछ हमें छोड़कर जाना होता है। आज तक कोई भी सिकन्दर ऐसा नहीं हुआ जो अपने साथ धन ले गया, लेकिन ज्ञान लक्ष्मी ऐसी होती है जो जीवन के साथ और जीवन के बाद भी काम आती है।

वृद्धावस्था और रोगों का आक्रमण जब होता है तब कोई शरण देने वाला नहीं होता। इसके बाद भी हम क्यों प्रमाद करते हैं। इस असंस्कृत जीवन के लिए क्यों हिंसा में लिप्त होते हैं। उन्होंने कहा कि ज्ञान से जीवन में संस्कार लक्ष्मी प्राप्ति होती है। नारी यदि संस्कार युक्त होगी तो अपने घर को मंदिर बना सकती है। बकौल नूतन प्रभाश्री जी, धर्म की पूंजी कमा लो वह जीवन के साथ जाएगी। जीवन हमें दो दिन का मिला है, कल और आज। बस ये ही दो दिन है और इस दो दिन की जिंदगी के लिए हम क्यों गुमान करते हैं और धर्म को भूलते हैं।

बच्चे संस्कारी होंगे तो आपका जीवन भी समृद्ध होगा : साध्वी रमणीक कुंवर जी

धर्मसभा में साध्वी रमणीक कुंवर जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज हम अपने बच्चों को धन की अंधी दौड़ में झोंक रहे हैं। बच्चों को संस्कार मिले इस ओर हमारा कोई ध्यान नहीं है। उन्होंने कहा कि अपने जीवन को सफल, समृद्ध और सार्थक बनाना है तो बच्चों को संस्कारित कीजिए।

गर्भ से ही उनमें अच्छे संस्कारों का संचार करें। बच्चा जब गर्भ में आता है तब से माता-पिता का जीवन धर्म के प्रति समर्पित रहेगा तो आगे जाकर वह बच्चा आपके जीवन को भी सफल बनाएगा और आपको उस पर गर्व होगा। बच्चों को अच्छा देशभक्त और समाजसेवी बनाएं। यह सब संस्कारों से ही संभव है।

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