चेन्नई. कोडम्बाक्कम-वडपलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा ने कहा पहले के समय में जब मनुष्य के पास इतनी भौतिक सुख सुविधाएं नहीं थी लेकिन वह बहुत सुखी जीवन जीता था। आज भौतिक सुविधाएंं बढ़ी तो उसका सुख गायब होता जा रहा है। सब कुछ हासिल होने के बाद भी मनुष्य का मन उदास रहता है।
भौतिक सुख के साथ सब कुछ सेट है पर मनुष्य का दिमाग सेट नहीं है। जब तक मनुष्य अपने मन को नियंत्रित नहीं करेगा उसे सुखों की अनुभूति नहीं हो सकती। दिमाग को आराम देने के लिए लोग दवा खाते हैं। योग कर मनुष्य अपने जीवन की टेंशन को दूर कर सकता है। वर्तमान में लोग अपना आधे से ज्यादा जीवन मोबाइल और कंप्यूटर में लगा रहे हैं।
छोटे छोटे बच्चे भी रात में मोबाइल इस्तेमाल करते हंै। लोगों को नहीं पता कि इसका असर उनके दिमाग पर ही पड़ रहा है। इन सबसे जब तक दूर नहीं होंगे जीवन की तकलीफ कम नहीं हो सकती।
जीवन में आगे जाना है तो स्वयं को भौतिक सुविधाओं से दूर करना होगा। इसके लिए अपने बहकते मन पर काबू कर चलना होगा। जब मन काबू में आ जायेगा तो इच्छाएं अपने आप ही कम हो जाएंगी।
जब इच्छाएं कम होंगी तो जीवन में खुशियां आने लगेगी। इस मौके पर नवकार मंत्र कलश की बोली लगाई गई जो ललितकुमार महावीरचंद गुगलिया ने ली। आज पूना से करीब 60 गुरुभक्तों का प्रतिनिधिमंडल साध्वीवंृद के दर्शनार्थ पहुंचा।