पनवेल श्री संघ में विराजित श्रमण संघीय जैन दिवाकरिया महासाध्वी श्री संयमलताजी म. सा., श्री अमितप्रज्ञाजी म. सा., श्री कमलप्रज्ञाजी म. सा., श्री सौरभप्रज्ञाजी म. सा. आदि ठाणा 4 के सानिध्य में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए हैं महासती संयम लता ने अंग्रेजी वर्णमाला के अक्षर ‘E’ से ईगो के परिणाम पर प्रकाश डालते हुए कहा इगो को गो करोगे तो जीवन स्वर्ग बन सकता है। अहंकार बड़ा खतरनाक है। दांपत्य जीवन में, पारिवारिक व सामाजिक जीवन में जो संघर्ष, मनमुटाव, मनोमालिन्य दिख रहा है उसका मूल कारण अहंकार है। यदि पत्नी पति के प्रति और पति पत्नी के प्रति, बाप बेटा के प्रति और बेटा बाप के प्रति, शिष्य गुरु के प्रति और गुरु शिष्य के प्रति समर्पण व सहयोग का रुख अपनाएं तो जीवन में व्याप्त सारी विसंगतियां समाप्त हो जाए।
अहंकार का समाधान समर्पण है, मृदुता है। जो सुख समर्पण में है वह अकड़ने में नहीं है। जो अकड़ता है यमराज उसे जल्दी पकड़ता है। जो मृदु होगा, उसे मौत कभी नहीं मिटाएगी वह मरकर भी अमर होगा। साध्वी अमित प्रज्ञा ने कहा मन चंचल है। मन को जीतना नहीं,जीना है। क्योंकि जीतने की भाषा लड़ाई की भाषा है, युद्ध की भाषा है । मन को स्वतंत्र छोड़ दो। मन को रुकोगे तो भागेगा, मन को पकड़ोगे तो दौड़ेगा। मन से हारा व्यक्ति आत्महत्या जैसा घृणित कार्य करने के लिए तत्पर हो जाता है परंतु आत्महत्या किसी समस्या का समाधान नहीं है। धर्म सभा में नरेंद्र मारू ने 11 उपवास, कृति सोलंकी ने 11 उपवास, महावीर सोलंकी ने 8 उपवास, वृशांक गड़ा ने 9 उपवास के प्रत्याख्यान ग्रहण किये। धर्म सभा में चतरलाल जी लोढ़ा, कवरलालजी सूर्या, मिठालालजी सिंघवी, चित्तौड़, भीलवाड़ा, बदनोर आदि से गुरु भक्तों ने दर्शन प्रवचन का लाभ लिया।