हमारे भाईन्दर में विराजीत उपप्रवृत्तिनि संथारा प्रेरिका सत्य साधना ज गुरुणी मैया आदि ठाणा 7 साता पूर्वक विराजमान हैl वह रोज हमें प्रवचन के माध्यम से नित नयी वाणी सुनाते हैं, वह इस प्रकार हैंl
बंधुओं जैसे जैसे की हर एक इंसान में विनय विवेक एवं वचन तीन चीज होनी चाहिए विवेक से क्या हुआ काम हरदम अच्छा होता हैl
जैसे कि एक बार भगवान महावीर स्वामी की समवसरण में सूर्य और चंद्र भी आए थे और साध्वी जी भी आई हुई थी सूर्य एवं चंद्र के वहां आने से सूर्य का प्रकाश ना होने से उन साध्वी जी को पता ही नहीं चला कि कब घर जाना हैl जब उन्हें ध्यान आया कि मुझे जाना है तब वह वहां से निकले एवं सिधेअपने गुरुजी के पास पहुंचे एवं गुरुजी ने कहा कि कितना लेट हो गया है अपने गुरुणी को शोभा नहीं देता हैl
ऐसी तुम कहां चली गई थी गुरू भी मैया ने कहा तब मृगावती ने कहा मुझसे बड़ी भूल हो गई एवं उसका मुझे आलोचना दे दो तब गुरणी मैया ने उनको आलोचना दी एवं उसी रात में जब गुरणी मैया भी सो गई तभी वहां से एक सर्प निकला, तब मृगावती पश्चाताप कर रही थीl पश्चाताप करते-करते उनको केवल ज्ञान हुआ एवं अंधेरे में भी उसको सर्प दिखाई दिया तब गुरूणी ने कहा यह ज्ञात तुम्हें कैसे हुआ मृगावती जी ने कहा आपके आशीर्वाद से उनमें इतना विनय था कि पश्चाताप करते-करते केवल ज्ञान हो गयाl
इसी तरह आपने देखा होगा कि लोगों की अलग-अलग जिवडे होते हैंl कुछ लोग लोभी भी होते हैं कुछ मायावी भी होते हैं कुछ अभिमानी होते हैं कुछ गुसेल होते हैं कुछ काम करते हैंl हर चीज का उत्तर अलग-अलग होता है हर जीव की भाव स्थिति अलग-अलग होते हैंl लोग भी लोग हर बात में बिंदु बिंदु पर लोभ से जीते रहेंगेl किसी का जीव कामुक होता है और इंसान का मन बहुत अभिमान जाता हैl अभिमानी लोग जरा से सम्मान से कमेंट से भर जाते हैंl
सब के अलग-अलग जुड़े हैं लेकिन स्वभाव का जो सबसे बड़ा दोष हैl वह है गुस्सा क्रोध में बहीनों से पूछूंगी आपके पड़ोस में एक महानुभाव रहते हैंl आपके घर में भी एक महानुभाव हैl आपके घर में जो महानुभाव वह आपके पति हैं और दूसरे पड़ोसी है कल्पना करें आपके घर वाले इतने आप गुस्सैल और स्वभाव के हैं परंतु आपका पड़ोसी विनय एवं विनम्र भाव का हैl इसलिए जीवन का हर कार्य ध्यान पूर्वक होना चाहिए कोई जीवन सफल बनेगाl
जय जिनेंद्र जय महावीर कांता सिसोदिया