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इंसानियत के पैमाने पर खरा उतरकर अपने मानव जीवन को करें सार्थक: साध्वी नूतन प्रभाश्री

इंसानियत के पैमाने पर खरा उतरकर अपने मानव जीवन को करें सार्थक: साध्वी नूतन प्रभाश्री

 जिन वाणी का वाचन करते हुए साध्वी जी ने बताया कि मनुष्य होना आसान है, लेकिन मनुष्यत्व होना मुश्किल

Sagevaani.com/शिवपुरी ब्यूरो। दीपावली की रात्रि को भगवान महावीर दो दिन की धर्मदेशना के पश्चात मोक्ष को प्राप्त हुए थे। उनकी अंतिम देशना उत्तराध्यन सूत्र में उल्लेखित है। भगवान की अंतिम देशना का वाचन करते हुए प्रसिद्ध जैन साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने बताया कि मनुष्य होना आसान है लेकिन मनुष्यत्व को प्राप्त करना मुश्किल है। मनुष्य का जीवन तब सार्थक होता है जब वह इंसानियत की कसौटी पर अपने आपको खरा साबित करे। साध्वी जी ने अपने प्रवचन में इंसानियत का क्या पैमाना होता है, इसे भी विस्तार पूर्वक बताया। धर्मसभा में साध्वी वंदनाश्री जी ने श्रद्धा से भजो महावीर, नैया तेरी भव से पार लगेगी, भजन का गायन किया। धर्मसभा में बाहर से पधारे श्रावकों का जैन श्री संघ ने सम्मान किया।

साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने बताया कि आकृति से हम सब मनुष्य है, लेकिन हमें प्रकृति से भी मनुष्य होना है। उन्होंने बताया कि प्रकृति से मनुष्य होने के लिए आवश्यक है कि हम करूणावान बनें, हमारे हृदय में दया और अनुकंपा का झरना प्रभाविहत हो।

साध्वी जी ने बताया कि करूणावान वह होता है जो हर आत्मा के दु:ख को अपना दु:ख मानता है और उसके निवारण के उपाय करता है। साध्वी जी ने इस बात पर दु:ख व्यक्त किया कि घरों में हमारे माता-पिता और बुजुर्ग सेवा के लिए तरसते है और बाहर जाकर यश की कामना से हम समाज सेवा करते हैं। ऐसी समाज सेवा का कोई मूल्य नहीं है। इसे मानवता नहीं कहा जा सकता। मनुष्यत्व का दूसरा पैमान साध्वी जी ने बताया कि जो व्यक्ति परमात्मा, देव गुरू और धर्म के प्रति श्रद्धावान है वहीं मनुष्यत्व का धारक है। उन्होंने कहा कि सिर्फ मनुष्यत्व या इंसानियत के लिए यहीं पर्याप्त नहीं है बल्कि व्यक्ति में परोपकार की भावना होना चाहिए। उसके रौम-रौम में प्रेम बहना चाहिए। वहीं व्यक्ति प्रकृति से मानव कहलाने का हकदार है।

दीपावली पर पटाखे नहीं छोड़ने का लें संकल्प

साध्वी नूतन प्रभाश्री जी ने बताया कि जैन संस्कृति में दीपावली पर्वर् का इसलिए विशेष महत्व है, क्योंकि इस पर्व पर 24 वें तीर्थकर भगवान महावीर स्वामी ने मोक्ष गमन किया था। ये दिन हमारे लिए धर्म आराधना के हैं। इन दिनों में हमें अपने जीवन में भगवान महावीर के आदर्शोर्ं को अपने जीवन में उतारना चाहिए। हिंसा से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि पटाखे का चलाना लक्ष्मी का अपमान है। एक मायने में हम लक्ष्मी को पटाखे के बहाने आग में झोंक रहे हैं। दीपावली पर हमें हिंसा की बजाय त्याग, प्रत्याख्यान व्रत और उपवास कर भगवान महावीर के मार्ग पर आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। साध्वी जी ने उपदेश दिया कि दीपावली पर हम पटाखे न छोड़ने का संकल्प लें और पटाखों की राशि का उपयोग दीन दुखियों की सेवा करने में करें।

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