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इंद्रियों के विषयों के प्रति विराग ही शील है

इंद्रियों के  विषयों के प्रति  विराग ही शील है

*विंशत्यधिकं शतम्*

*📚💎📚श्रुतप्रसादम्*

🪔

*तत्त्वचिंतन:*

*मार्गस्थ कृपानिधि*

*सूरि जयन्तसेन चरणरज*

मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा.

 

7️⃣9️⃣

🌼

🧘‍♂️

इंद्रियों के

विषयों के प्रति

विराग ही शील है…

🛑

कोई साधक

महा विद्वान है,

शास्त्रो का ज्ञाता है,,

प्रतिबोध प्रवचन कुशल है

लेकिन शील,

सदाचार संपन्न नही है तो

इन्द्रियों के विषय

उसके ज्ञान को नष्ट

निष्फल विकृत कर देंगे.!

🪔

यदि सदाचार से,

चारित्र से विशुद्ध बना

अल्पज्ञान हो तो भी

महान फलदायक है.!

शीलधर्म मोक्ष की सीडी है.!

💛

अहिंसा,जीवदया

शक्ति, सत्य, अचौर्य,

ब्रह्मचर्य,संतोष,समकित

ज्ञान एवं तप आदि गुण

शील के पारिवारिक सदस्य है.!

*📚श्री शील प्राभृतम्📚*

 

*🦚श्रुतार्थ वर्षावास 2024🦚*

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