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आसमा से ऊंची सोच के धनी आचार्य महाश्रमणजी : मुनि सुधाकरकुमार

आसमा से ऊंची सोच के धनी आचार्य महाश्रमणजी : मुनि सुधाकरकुमार
आचार्य महाश्रमण 13वॉ पट्टोत्सव समारोह
पेरम्बूर, चेन्नई  :-  मुनि श्री सुधाकरकुमारजी एवं साध्वी डॉ मंगलप्रज्ञाजी के सान्निध्य एवं तेरापंथ सभा के तत्वावधान में आचार्य महाश्रमणजी का 13वॉ पट्टोत्सव उल्लासमय वातावरण में लक्ष्मी महल में मनाया गया।
धर्म परिषद् को सम्बोधित करते हुए मुनि श्री सुधाकरजी ने कहा आचार्य श्री महाश्रमणजी का जीवन अनेक गुणों का समवाय है। पांच एच को व्याख्याहित करते हुए कहा -उनका अनुत्तर संयम उनकी स्वस्थता की पहचान है। वे हेल्दी मैन है। उनके जीवन में हम्बल उत्कृष्टता से भरपूर है। इस विनम्रता के गुण ने उन्हें सफलता का शिखर प्रदान किया। हैप्पीनेस का गुण सदा वर्धमान होते हम देख रहे हैं। बदन की प्रसन्नता हर दर्शक के आस्था का केंद्र है। होनेस्टी यानी ईमानदारी, मूल्यों को जीना उन्हें प्रिय है। उनकी सोच आसमा से भी ऊंची है। हाई थिंकिंग में गहरा विश्वास है, जिसके कारण मानव मात्र के लिए महापथ दर्शक बने हुए हैं।
साध्वी श्री डॉ मंगलप्रज्ञाजी ने कहा आचार्य महाश्रमण उदितोदित  व्यक्तित्व के धनी है। उनका सौभाग्य निरंतर प्रवर्धमान है। वह आचार्य तुलसी और आचार्य महाप्रज्ञजी के अति विश्वासपात्र रहे हैं। हम भिक्षु पटृ पर ऐसे पुण्यशाली आचार्य पाकर गौरव और आत्मतोष अनुभव करते हैं। सौभाग्य प्रदाता महागुरु है, जिससे हम प्रतिपल जन-जन को करुणा, आनंद और समाधि प्रदान कर देने के सुख का आनंद ले रहे हैं। पीड़ाहारक विघ्न विनायक आचार्य के रूप में हम आपकी अभिवन्दना कर रहे हैं। तेरापंथ के आचार्य मात्र गुरु ही नहीं माता-पिता की तरह है। जो अपने शरणागत शिष्य समुदाय का संपोषण और संवर्धन करते हैं। पुरुषार्थ की प्रखरता और सजीवता का साक्षात दर्शन हमने किया है। जन जन के कल्याण के लिए समर्पित और संकल्पित मन से पसीना बहाने वाला ही नूतन इतिहास का सृजन कर सकता है। आज पट्टोत्सव के पुनीत अवसर पर कीर्तिमान पुरुष और इतिहास सर्जक के रूप में हम उनकी अभ्यर्थना कर रहे हैं।
साध्वीश्रीजी ने गुरु वत्सलता के प्रेरणादायी अनेकों प्रसंगों का उल्लेख करते हुए कहा – उन्होंने हजारों किलोमीटर की लंबी यात्रा से जनमानस का अंधियारा दूर किया है और अध्यात्म की रोशनी प्रज्वलित की है। अनेक कीर्तिमान रच कर गण का गौरव बढ़ाया है। निस्पृहता की पराकाष्ठा ने उन्हें सदैव सफलता का शिखर प्रदान किया। साध्वीश्री ने कहा षष्टिपूर्ति के पावन अवसर पर श्रावक समाज को 61 वर्षीतप करने की हमने प्रेरणा दी। प्रसन्नता है श्रावक- श्राविकाओं ने तप अभ्यर्थना के भावों के साथ तप के राजमार्ग पर चलने का संकल्प किया है।
महिला मंडल के मंगलाचरण से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। मुनि श्री नरेशकुमारजी ने भावपूर्ण संगान के साथ गुरुदेव को वर्धापित किया। साध्वी शौर्यप्रभा एवं साध्वी राजुलप्रभा ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। साध्वी चैतन्यप्रभाजी ने अंग्रेजी एवं साध्वी सिद्धियशाजी ने हिंदी भाषा में काव्यांजलि प्रस्तुत की। साध्वी मंगलप्रज्ञाजी द्वारा रचित गीत को स्वर दिया गायक हेमंत डूंगरवाल और संदीप पूनमिया ने। तेरापंथ सभा अध्यक्ष प्यारेलालजी पितलिया, महिला मंडल अध्यक्षा पुष्पा हिरण, साहूकारपेट तेरापंथ ट्रस्ट के प्रधानन्यासी एवं महासभा कार्यकारिणी सदस्य विमलजी चिप्पड़, तेयुप अध्यक्ष मुकेशजी नवलखा, टीपीएफ अध्यक्ष राकेशजी खटेड ने श्रद्धासिक्त विचार व्यक्त किए। कन्या मंडल ने श्रद्धा गीत की प्रस्तुति दी। साध्वीवृंद ने सामूहिक संगीत का संगान किया। गणमान्य लोगों सहित लगभग 400 भाई-बहनों की उपस्थिति रही। आभार ज्ञापन सभा के  कर्मठ मंत्री श्री गजेंद्र खांटेड ने किया। कार्यक्रम के संयोजक श्री अशोक खतंग ने काव्यमय रुप से सुंदर संचालन किया। कार्यक्रम की सफलता में श्री राजेन्द्रजी भण्डारी, मनोज डूँगरवाल के साथ संघीय संस्थाओं के सदस्यों का सहयोग रहा।
तेरापंथ प्रोफेशनल फॉर्म द्वारा ‘माँ तंदुरुस्त, परिवार दुरस्त’ के अंतर्गत अनुभवी डॉक्टरों द्वारा माताओं के लिए उपयोगी सलाह कैंप रखा गया एवं निशुल्क हिमोग्लोबिन, शुगर और डायनेस्टिक टेस्ट किए गए। उपरोक्त जानकारी प्रचार प्रसार प्रभारी स्वरूप चन्द दाँती ने दी।

            स्वरुप चन्द दाँती
प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई

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