सपने कभी पूरे नहीं होते और संकल्प अधूरे नहीं रहते
चेन्नई. पुरुषावाक्कम के एएमकेएम जैन मेमोरियल सेंटर में विराजित महासती साध्वी उमराकंवर ‘अर्चना’ की शिष्या साध्वी कंचनकुंवर के सानिध्य में राजस्थान प्रवर्तिनी साध्वी सुप्रभा ‘सुधा’ ने कहा कि संसार के नौ प्रमुख तत्वों में सबसे प्रमुख दो तत्व आश्रव और संवर है। आश्रव संसार भ्रमण का कारण है जबकि संवर मोक्ष का कारण है।
संपूर्ण संसार एक कंटीले वन और शून्य की भांति है। अपने चरम चक्षु बंद कर अपने अन्तरचक्षुओं से देखने का प्रयास करें। जिस प्रकार रेगिस्तान में भी पानी की स्थिति का भ्रम होता है उसी प्रकार इस संसार में पांच तरह के आस्रवों की बरसात निरंतर होती रहती है जिसमें सभी जीव भीग रहे हैं।
इनसे ही कर्म किया जाता है और इन सभी का करण मिथ्यात्व है, इसी से संसार का परिभ्रमण होता है। इस आश्रव के द्वार को बंद कर दें तो अन्य सभी द्वार बंद हो जाएंगे नहीं तो कर्म के द्वार खुले हैं। इन आश्रवों से बचने के लिए जिनवाणी का श्रवण करें। प्रमाद का त्याग करें, इससे व्यक्ति साधना से भी फिसल जाता है।
साध्वी डॉ. हेमप्रभा ‘हिमांशु’ ने कहा कि सपने कभी पूरे नहीं होते जबकि संकल्प कभी अधूरे नहीं रहते। जिनको सपनों को संकल्प बनाना है उनके लिए संकल्प शक्ति में तीन बातें होनी चाहिए। इन्द्रियों पर विजय, कष्ट सहिष्णुता, और मन की एकाग्रता। इनका अभाव हो तो कोई संकल्प पूरा नहीं हो पाता। जिसका रसेन्द्रियों पर नियंत्रण नहीं, कष्टों से घबरा जाए और मन में चंचलता हो तो संकल्पों को तोड़ देती है।
श्री उमराव अर्चना चातुर्मास समिति के प्रचार-प्रसार मंत्री हीराचंद पींचा ने बताया कि चातुर्मास स्थल पर गणगौर संस्था के तत्ववधान में दो दिवसीय महिला कैंसर जांच शिविर लगाया गया। गणगौर की चेयरपर्सन डिंपल निवेटिया, उपचेयरमेन पुष्पलता झंवर तथा अन्य पदाधिकारियों और चिकित्सक का चातुर्मास समिति द्वारा सम्मान किया गया।
दोपहर में टीम सिद्धा के दो दिवसीय आवासीय शिविर का शुभारंभ हुआ। सामान्य प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कार बांटे गए। धर्मसभा में अनेकों गणमान्य श्रावक उपस्थित रहे। ४ अगस्त रविवार को दोपहर २ बजे से सामान्य प्रतियोगिता होगी।