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आलोचना आत्म शुद्धि का राजमार्ग है: सुधाकवर जी मसा

आलोचना आत्म शुद्धि का राजमार्ग है: सुधाकवर जी मसा

जय जितेंद्र, कोडमबाक्कम् वड़पलनी श्री जैन संघ के प्रांगण में आज तारीख 26 जुलाई सोमवार, परम पूज्य सुधाकवर जी मसा के मुखारविंद से:-आज आलोचना का मतलब बताया गया! विधि पूर्वक, मर्यादा पूर्वक अपने दोषों का प्रकटी करण गुरु के चरणों में करना आलोचना है। आलोचना आत्म शुद्धि का राजमार्ग है बालक की तरह निश्छल मन से आलोचना करनी चाहिए।

सामायिक पाठ में आनेवाले शब्द “पडिक्कमामि, निन्दामि गरिहामी” का भावार्थ समझाया! आलोचना करने से हमारे कर्मों का भार हल्का हो जाता है! जीवन क्षेत्र में गुणों का और दोषों का चिंतन करना चाहिए! दिल को साफ करो, मन को साफ करो और हृदय के दुर्भाव को साफ करो वरना, कुछ दाग जीवन में लग ही जाता है!

सुयशा श्रीजी महाराज साहब के मुखारविंद से:-हमारे जीवन में बदलाव जरूरी है! कुछ बदलाव ऐसे हैं जिनकी जरूरत नहीं है!
*जीवन में “Smile” की बहुत जरूरत है!*
*S= Satisfaction.*
*M=Moral value*
*I = Intelligence*
*L= Love*
*E= Emotions*
*Satisfaction:- हमारे जीवन में हम जो भी कार्य करते हैं उन्हें अच्छे से करना चाहिए! हमारा “Satisfaction” बहुत जरूरी है!*
*Moral value:- हमारे जीवन में व्यापार, प्लानिंग , दोस्त,सम्बंधी, रिश्तेदार और हमारा परिवार, माता-पिता दादा-दादी के मन में हमारे प्रति जो छवि है वही हमारा नैतिक मूल्य “Moral value”है!*

*Intelligence:- हमारे जीवन में सही समय पर सही निर्णय हमारे विवेक और समझदारी (Intelligence)का सबूत होता है! सिर्फ बुद्धि के बल पर पैसा कमाना या होशियारी जताना, चालाक बनना सुख के बदले दुख ही देता है?*

*Love:- हमारे जीवन में प्रेम स्नेह और वात्सल्य की शुरुआत हमारे परिवार से होती है बाहर से नहीं!*
*कुछ लोगों से हम सालों में, कुछ लोगों से महीनों में और कुछ लोगों से सप्ताह में एकाध बार मिलते हैं!*

*लेकिन कुछ लोगों से रोज मिलना होता है और वो है परिवार और करीबी रिश्तेदार! हम बाहर तो नाम अच्छा कमा लेते हैं लेकिन परिवार के सदस्यों की कदर नहीं करते! हमारे लिए हमारा परिवार ही सब कुछ है, वरना हम जीरो हैं! इसलिए परिवार और परिवार से “Love” करना चाहिए।

*Emotions:- हमारे जीवन में भावनाओं (Emotions) का बहुत महत्व है! वैसे तो हम चाहते हैं सभी सुखी होने चाहिए! सिर्फ अपने परिवार से ही नही, बल्कि दूसरों के सुख दुख में, अड़ोस पड़ोस के सुख दुख में शरीक होना बहुत जरूरी है और, इसे ही “Emotions” कहते हैं!

आज की धर्म सभा में श्रीमान अशोक जी तालेड़ा ने 23 उपवास, श्रीमती सुशीला जी बाफना ने 15 उपवास, एवं श्रीमती प्रकाश बाई लालवानी ने 14 उपवास के प्रत्याख्यान किए। इसी के साथ कई धर्म प्रेमी बंधुओं ने विविध तपस्याओं के प्रत्याख्यान ग्रहण किए।

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