Share This Post

Featured News / ज्ञान वाणी

आप रमणीय से अरमणीय न बनें: साध्वी कंचनकुंवर

आप रमणीय से अरमणीय न बनें: साध्वी कंचनकुंवर

चेन्नई. एएमकेएम में विराजित साध्वी कंचनकुंवर के सानिध्य में साध्वी डॉ.सुप्रभा ‘सुधाÓ ने रायप्रशनीय सूत्र में प्रसंग राजा पर्रदेशी की जीवनकथा में बताया कि राजा परदेशी बहुत ही अन्यायी, पापी, क्रूर, चंड-प्रचंड था। उसके हाथ हरदम ाून से सने रहते थे।

उसने चित्त सारथी की प्रेरणा से चौदह पूर्वधारी ज्ञान के धनी भगवान पारसनाथ के चतुर्थ पटधर श्री केशीकुमार श्रमण से जीव और शरीर का भेद विज्ञान समझा और श्रमणोपासक बना और वह अधार्मिक से धार्मिक बन गया।

उन्होंने चातुर्मास स पन्न होने पर यह उदाहरण दिया और कहा कि आप सभी ने इन चार महीनों में स्वयं को जिनवाणी श्रवण और धर्म, तप, ध्यान में लगाया है और इसके बाद भी इसी प्रकार जिनवाणी की आराधना में स्वयं को लगाएं रखें, आप रमणीय से अरमणीय न बनें, धार्मिक से अधार्मिक न बनें। जिनवाणी जीवन में रहेगी तो आत्मा का कल्याण होगा।

महासती साध्वी उदितप्रभा ‘उषाÓ ने वीर लोकाशाह जयंती पर उनके त्याग और व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वे क्रांतिकारी जिनशासन के वीर पुत्र थे। वे स्थानकवासी संप्रदाय के प्राण थे। उन्होंने समाज का पूर्ण उद्धार किया जिसे समाज सदैव स्मरण रखेगा। धर्मसभा में लोकाशाह जयंती पर बड़ी सं या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

13 नव बर को प्रात: भक्तामर पाठ के बाद 7.30 बजे अर्चना सुशिष्यामंडल का विहार विजयराज चोरडिय़ा, चंदनबाला अपार्टमेंट स्थित निवास पर होगा। 16 नव बर को अर्चना सुशिष्यांडल के सानिध्य में मईलापुर संघ के तत्वावधान में पू.मिश्रीमल महाराज का स्मृतिदिवस मनाया जाएगा।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar