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आनंद ऋषि के 124वें जन्मोत्सव पर आज से होगी आनंद गाथा, कल सामायिक दिवस

आनंद ऋषि के 124वें जन्मोत्सव पर आज से होगी आनंद गाथा, कल सामायिक दिवस

10-11 अगस्त को सुमित बिजनेस पार्क में जुटेगा सकल जैन समाज

Sagevaani.com @रायपुर. राजधानी में उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि जी महाराज साहब 9 से 17 अगस्त तक आनंद गाथा का वाचन करेंगे। बुधवार से 15 अगस्त तक यह कार्यक्रम रोज रात 9 से 10 बजे के बीच टैगोर नगर के श्री लालगंगा पटवा भवन में संपन्न होगा। वहीं 16 और 17 अगस्त को ये प्रोग्राम रात 8 से 9 बजे के बीच हुकम्स ललित महल में होगा।
रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने बताया कि राष्ट्र संत आचार्य आनंद ऋषि जी महाराज साहब के 124वें मंगल जन्मोत्सव के अवसर पर 8 दिवसीय समारोह का आयोजन किया गया है। इसके तहत 10 अगस्त को सुमित बिजनेस पार्क में सुबह 8 बजे से सामायिक दिवस मनाया जाएगा।

11 अगस्त को सुबह 8 बजे से 36 लाख नवकार जाप होगा। इसके लाभार्थी सुमित ग्रुप, कांकरिया परिवार हैं। टैगोर नगर स्थित श्री लालगंगा पटवा भवन में 12 अगस्त को णमोत्थुणं जाप, 13 अगस्त को उवसग्गहरं जाप, 14 अगस्त को पैसठिया जाप एवं एकासना दिवस, 15 अगस्त को लोगस जाप होगा। वहीं सेरीखेड़ी स्थित हुकम्स ललित महल में 16 अगस्त को आनंद चालीसा- प्रवचन एवं भक्ति, 17 अगस्त को आयंबिल दिवस, गुणानुवाद सभा एवं 1008 अट्ठाई पचक्खाण होगा। 18 अगस्त को पारणा महोत्सव मनाया जाएगा।

मनुष्य क्या बनेगा, यह जन्म से नहीं परिवार से तय होता है: प्रवीण ऋषि

मनुष्य गति‌ में कर्म भूमि ऐसा क्षेत्र है जो धर्म भूमि भी बन सकती है और अधर्म भूमि भी। बीज तभी अच्छे से पनप सकता है जब उसे जमीन, खाद और पानी अच्छी तरह मिल जाए। नरक गति हो या देवगति, इसमें जाने वाला व्यक्ति एक स्पेशल बीज लेकर जाता है। लेकिन, मनुष्य गति में आने वाला व्यक्ति 84 लाख योनियों के बीज अपने साथ लेकर आता है। देव क्या बनेगा, तय है। नारकीय क्या बनेगा, तय है। मनुष्य क्या बनेगा, यह जन्म से तय नहीं होता। ये कर्म से भी तय नहीं होता है। ये तय होता है कि उसको परिवार कौन सा मिलता है।
एक पल को कल्पना करिए कि भीष्म पितामह को रघुकुल मिल जाता तो उनकी गरिमा और जीवन‌ किस ऊंचाई पर होता। अगर राम को गुरुकुल मिल जाता तो राम क्या कर पाते! इस सच्चाई से कोई इनकार नहीं कर सकता है कि पराए दुश्मन से लड़ने में मर्दानगी होती है। जिनसे हम मोहब्बत करते हैं वही अगर दुश्मन बन जाएं तो लड़ने का मन नहीं करता है।

इसलिए परिवार की जो नरक भूमि बनने की संभावना है या सिद्ध भूमि बनने की संभावना है, उसके लिए जिनेन्द्र कुल बनना चाहिए। मनुष्य जीवन में व्यक्ति बहुत पराधीन हो जाता है। गाय के बछड़े को चलना सिखाने की जरूरत नहीं पड़ती। वह जन्म लेते ही चलने लग जाता है। इंसान के बच्चे को बिठाओ नहीं तो वह जीवनभर बैठना भी नहीं सीख पाता है। वो सौभाग्यशाली हैं जिनको ऐसा परिवार मिलता है कि जो सिद्ध मार्ग पर जाने का संबल देते हैं।

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