दीपावली पूजन कार्यशाला, चेन्नई
माधावरम्, चेन्नई; भारतवर्ष पर्वो का देश है। यहां पर्वो में आमोद प्रमोद के साथ आध्यात्मिकता का समावेश होता है। उपरोक्त विचार अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद् के तत्वावधान में तेरापंथ युवक परिषद् की आयोजना में जैन तेरापंथ नगर, माधावरम्, चेन्नई में आयोजित दीपावली पूजन कार्यशाला में मुनि श्री सुधाकरजी ने कहे।
मुनिश्री ने कहा कि पर्व हमें अलोकिक संदेश देते हैं। पर्व के साथ संस्कार और संस्कृति जुड़े रहे। पर्वो में आध्यात्मिकता के समावेश से हम आत्मानुमुंखी हो सकते हैं। जैनत्व के संस्कार के साथ देव, गुरु, धर्म के प्रति आस्था घनीभूत हो। संस्कृति की मूल अवधारणा हो, अपने आराध्य की आराधना हो। जैन मंगल मंत्रोच्चार से कर्म निर्जरा होती है। मंत्र से शक्ति का जागरण होता है, लब्धि की प्राप्ति होती हैं, ऋद्घिसिद्घि की प्राप्ति हो सकती हैं।
मुनि श्री ने विशेष रूप से कहा कि हमें गर्व होना चाहिए हमारी संस्कृति पर, संस्कारों पर, जैनत्व के सिद्धांतों पर। हम स्वयं अपने संस्कारकों पर मजबूत रह कर ही भावी पीढ़ी को संस्कारित कर सकते हैं। अपनी सस्कृति के अनुसार ही अपनी शैली हो, अपने व्यवहारिक धरातल के लिए मूल संस्कारकों को नहीं भूले। दृढ़ निश्चय, विश्वास के साथ अपनी संस्कृति से ही पर्वो को मनायें। संतुलन बिठाने के लिए अन्य संस्कृतियों का समावेश नहीं हो। मुनि नरेशकुमारजी ने गीतिका का संगान किया।
इससे पूर्व नमस्कार महामंत्र से प्रारम्भ दीपावली पूजन कार्यशाला में जैन संस्कारक, उपासक श्री स्वरूप चन्द दाँती एवं जैन संस्कारक श्री हनुमान सुखलेचा ने सम्पूर्ण मंगल मंत्रोच्चार के साथ विधि को बताते हुए उपयोगिता बताई। तेयुप उपाध्यक्ष श्री संतोष सेठिया ने स्वागत स्वर एवं मंत्री श्री संदीप मुथा ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर तेयुप चेन्नई के सहमंत्री श्री कोमल डागा, संगठन मंत्री श्री सुधीर संचेती, जैन तेरापंथ नगर के अध्यक्ष श्री माणकचन्द रांका, श्री सुरेश रांका इत्यादि अनेकों गणमान्य व्यक्तित्व उपस्थित थे। कार्यशाला के अन्त में बने वर्धमान प्रश्न मंच प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमे काफी संख्या में श्रावक समाज ने सहभागिता दर्ज करवाई।
समाचार सम्प्रेषक : स्वरूप चन्द दाँती