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आदिनाथ भगवान वन्दन स्वरूप भक्तामर अनुष्ठान प्रारम्भ

आदिनाथ भगवान वन्दन स्वरूप भक्तामर अनुष्ठान प्रारम्भ

जैन स्थानक बठिंडा मे कल्पबृक्ष भक्तामर के शुभारम्भ के प्रसंग मे बोलते हुए डाक्टर राजेन्दर मुनि जी ने बोलते हुए कहा कि जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर श्री ऋषभ देव भगवान जिनका अपर नाम आदिनाथ के रूप मे विस्तृत हुआ है! आदि अर्थात धर्म की एवं न्याय नीति का शुभारम्भ कर्ता असि मसि कृषि के कार्य का प्रारम्भ कर्ता जनता को जीवन जीने का मार्ग बतलाने वाले है अत:उनको आदिनाथ भगवान के नाम से पुकारा जाता है! आपने भरत जैसे पुत्र रत्न को जन्म प्रदान किया इसीलिए हमारे देश का नाम भरत चक्रवर्ती राजा के नाम से भारत बना है!

ऋषभ देव भगवान का पुरा परिवार जहाँ सामाजिक न्याय नीति मे अगुवा रहा वहां जीवन कल्याण हेतू अन्त मे संयम का मार्ग ग्रहण करके जनता को धर्म का स्वरूप भी समझा दिया! आज विज्ञान जितना भी विकसित हुआ हो रहा है उसके आध्या कर्ता नींव के रूप मे आदिनाथ रहे है! जैन समाज मे इनके आध्यात्मिक चमत्कारों से प्रभावित हो कर इनकी स्तुति रूप भक्तामर का प्रतिदिन पाठ किया जाता है!

सभा मे प्रारम्भ मे साहित्यकार सुरेन्द्र मुनि जी द्वारा विधि विधान के साथ भक्तामर जी का पाठ प्रारम्भ किया गया जिसे श्रवण करने हेतू बड़ी संख्या मे श्रद्धांलुजन जैन स्थानक मे उपस्थित रहे! सामूहिक रूपेण भक्तामर जी का 48 दिवसीय यह साधना सम्पन्न होगी! इस के प्रत्येक दिन के लाभार्थी परिवार द्वारा सभी को प्रसाद व चांदी के दो सिक्कों द्वारा पुरस्कृत किया जायेगा! महामंत्री उमेश जैन ने संघ की सूचना व अतिथिओं का हार्दिक अभिनदन किया

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