Share This Post

Featured News / ज्ञान वाणी

आत्म शुद्धि की अचूक औषधि है क्षमा: जयधुरंधर मुनि

आत्म शुद्धि की अचूक औषधि है क्षमा: जयधुरंधर मुनि

चेन्नई. जयमल जैन श्रावक संघ के तत्वावधान में वेपेरी स्थित जय वाटिका मरलेचा गार्डन में सामूहिक क्षमापना के अवसर पर जयधुरंधर मुनि ने कहा क्षमापना आदान-प्रदान का पर्व है।

होली, दिवाली आदि हर पर्व में प्रेम स्वरूप वस्तुओं का आदान – प्रदान किया जाता है लेकिन इस क्षमापना पर्व में भावों का आदान-प्रदान होता है। व्यक्ति दूसरों को सम्मान देता है और साथ ही उनसे क्षमा मांगता भी है क्षमा मांगने से व्यक्ति छोटा नहीं अपितु महान बनता है। मान का सही होने पर ही क्षमा का गुण प्रकट हो सकता है ।

आधुनिक संसाधनों से दूरियां क्षेत्र की अपेक्षा कम लगने लगी है पर मन की दूरियां निकट होते हुए भी बढऩे लगी है । पहले दीवारों के बीच भाई एक साथ रहते और आज भाइयों के बीच दीवारें खड़ी हो गई है। हृदय की दूरियां को दूर करने का प्रयास किया जाना चाहिए।

क्षमा आत्म शुद्धि की अचूक औषधि है, जिससे कर्म रूपी रोग मिट जाते हैं । वचन के द्वारा किए गए घाव पर क्षमा मरहम पट्टी का कार्य करती है । आत्मा की वर्षगांठ पर क्षमा का तोहफा देना चाहिए। यह दिन वैर का खाता बंद करने वाला है।

जयकलश मुनि ने क्षमा की ऋतु है आई, कर लो मन की सफाई गीतिका प्रस्तुत की। इस अवसर पर 20 से अधिक तपस्वियोंं ने अपनी बड़ी तपस्या की पूर्णाहुति की।

इस अवसर पर जय संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पारसमल गादिया, प्रांतीय अध्यक्ष नरेंद्र कुमार मरलेचा, महिपाल चौरडिया, के. एल. जैन ने सबसे क्षमा याचना की।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar