संगीता ए बाफणा के मासखमण तप का अभिनन्दन समारोह
आचार्यश्री महाश्रमणजी की सुशिष्या साध्वी श्री उज्जवलप्रभा के सान्निध्य में श्री सुसवाणी भवन, विल्लुपुरम (तमिलनाडु) में श्रीमती संगीता ए बाफणा के मासखमण का प्रत्याख्यान एवं तप अभिनंदन कार्यक्रम समायोजित हुआ।
साध्वी श्री उज्जवलप्रभा ने अपने मंगल उद्बोधन में फरमाया कि तप कषाय मुक्ति एवं आत्म शुद्धि का अभियान हैं। तपस्या के ताप से कर्म शीलाएं पिघलने लगती है। तपस्या का लक्ष्य है – कर्म शरीर को तपाना। केवल भूखा रहना, तप नहीं है। साध्वीश्री ने विल्लुपुरम के श्रावक समाज के तपस्वियों की अनुमोदना के साथ कहा कि चातुर्मास प्रारंभ से पूर्व ही यहां तपस्या की झड़ी लग गई थी।
कई भाई-बहनों के पंचोला, अठाई, नौ आदि की तपस्याएँ पूर्ण हो चुकी है और कई के तपस्यायों का क्रम प्रवर्धमान हैं। एकांतर, एकासन, बारी के उपवास का बहुत ही सुंदर क्रम चल रहा है।
साध्वी श्री अनुप्रेक्षाश्री ने कहा कि आत्म ज्योति और तप ज्योति, श्रद्धा के बल पर जागृत होती है। श्रद्धाबल एक ऐसा बल है, जिससे व्यक्ति अचिंत्य लाभ प्राप्त कर लेता है। साध्वी श्री प्रबोधयशाजी ने कहा कि तपस्वी आचार्य श्री भिक्षु ने तेरापंथ की नींव तप और त्याग से रखी। ऐसे धर्मसंघ में तप के अनेकों कीर्तिमान स्थापित हो चुके हैं।
कन्या मण्डल के मंगलाचरण से कार्यक्रम की शुभारंभ हुई। तेरापंथ सभा, युवक परिषद् एवं महिला मंडल से श्री महेंद्र धोखा, श्री विशाल सुराणा, श्रीमती राखी सुराणा ने अपने भाव गीतिका एवं विचारों द्वारा व्यक्त किए। महिला मंडल की अध्यक्षा ने तपस्वी की अनुमोदना हेतु संपूर्ण विल्लुपूरम तेरापंथ समाज की ओर से छोटे-छोटे त्याग रूपी भेंट तपस्वी को प्रदान किए।
राजेश सुराणा द्वारा असाधारण साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभा द्वारा प्रदत्त मंगल संदेश का वाचन किया। मूर्तिपूजक संघ के श्री राजेंद्र नाहर, स्थानकवासी संप्रदाय से श्री रिकबचन्द बम्ब एवं श्री प्रवीण दुगड़, पारिवारिक अनुमोदना के क्रम में दोहित्री द्वय कृषि व कृति गादिया, प्रभिता झाबक, यशोमती संचेती, संगीता बाफणा, दिशा बाफणा, महिमा बरडिया और उपासक श्री पदमचन्द आंचलिया, चेन्नई ने अपने विचार गीतिका एवं कविता द्वारा प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का कुशल संचालन साध्वी श्री सन्मतिप्रभा ने किया।
स्वरुप चन्द दाँती
प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई