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आत्म  वैभव को सुरक्षित रखना हैं, तो घर्षण में मत उतरो

आत्म   वैभव को  सुरक्षित रखना हैं,  तो घर्षण में मत उतरो

*🦚श्रुतार्थ वर्षावास 2024🦚*

 

*🪷प्रवचन प्रवाहक:🪷*

*युग प्रभावक कृपाप्राप्त*

मुनि श्रीवैभवरत्नविजयजी म.सा.

 

*☀️प्रवचन वैभव☀️*

🌧️

7️⃣5️⃣

371)

आत्म

वैभव को

सुरक्षित रखना हैं,

तो घर्षण में मत उतरो.!

372)

गंभीरता

पद का गौरव है,

चंचलता पद भैरव है.!

373)

विचार

व्यवहार में

आर्त रौद्र ध्यान हैं,

तो दुर्गति निश्चित हैं.!

374)

समय का सम्मान

अर्थात कल्याण का सम्मान.!

375)

सहज

सरलता से

सर्वस्वीकार का

भाव आत्मस्थ हो जाए

तो निर्बंधदशा सहज प्रगट होगी.!

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