आत्मा को सजाने का प्रयास करो, शरीर को नही- उपाध्याय प्रवर, अर्हम विज्जा प्रणेता पु. प्रविणऋषिजी म.सा. का उद् भोदन! आज उपाध्याय प्रवर पु . प्रविणऋषिजी म. सा. एवं मधुरगायक पु. तिर्थेष ऋषिजी म. सा. का आकुर्डी- निगडी- प्राधिकरण श्री संघ के प्रांगण मे भव्य स्वागत किया गया ! श्री संघ के पदाधिकारी गण, “ जिनेश्वरी” मंडल, चंदनबाला महिला मंडल, बहु मंडल , गुरु आनंद प्रार्थना मंडल एवं श्री संघ के सदस्य परिवारो द्वारा गुरुभगवंतो का स्वागत किया गया! पिपंरी चिॅचवड एवं पुना परिसर के अनेक जैन श्रावक संघ के पदाधिकारी गण उपस्थित थे! मधुर गायक पु तिर्थेष ऋषिजी म.सा. ने सुंदर स्तवन पेश किया! अपने उद्भोदन मे उपाध्याय प्रवरश्री जी ने आत्मा और शरीर की सुंदर शब्दो मे तुलना की ! ज्यो शरीर नश्वर है उसे सजाने का काम हम करते है, आत्मा के और हम ध्यान नही देते! आत्मा अमर है उसपर हम ने चिंतन करना चाहिये! आत्मा को सजाना चाहिए!
पुजा भंसाली ने गुरुभगवंतो के स्वागत सन्मान मे सुंदर स्वागत गीत पेश किया! जिनेश्वरी की उपासक मंजु संचेती एवं निता ओस्तवाल ने अपने भाव प्रकट किये ! संपुर्ण कार्यक्रम की प्रस्तावना एवं सुत्र संचलन प्रा. शारदा जी चोरडीया ने किया! गुरुभगवंतो का स्वागत “ जिनेश्वरी” दिंडीसे महिला मंडल ने किया ! दोपहर के सत्र मे धर्म चर्चा का आयोजन किया गयानहै! आकुर्डी- निगडी- प्राधिकरण श्री संघ के वर्तमान एवं निवर्तमान विश्वस्तो ने, शारदा जी चोरडीया मनिषा जैन , मंजु संचेती आज के कार्यक्रम का आयोजन नियोजन किया!