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आत्मा को पाप वृत्ति से बचाएँ : मुनि श्री कमलकुमार

जैन संतों का हुआ आध्यात्मिक मिलन

  
  जैन श्वेताम्बर तेरापंथ के आचार्य श्री महाश्रमणजी के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री कमलकुमारजी, स्थानकवासी श्रमण संघ के आचार्य शिव मुनि के आज्ञानुवर्ती मुनि श्री वीरेंद्रकुमारजी एवं मूर्तिपूजक संप्रदाय के गच्छाधिपति आचार्य श्री मुक्तिप्रभ सूरीजी का महावीर भवन पुरानी धोबीपेट में त्रिवेणी आध्यात्मिक मिलन हुआ।


  कार्यक्रम का शुभारंभ नमस्कार महामंत्र एवं प्रतिदिन होने वाले जप अनुष्ठान से हुआ। तेरापंथ धर्मसंघ के उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि श्री कमलकुमार ने मंगल उद्बोधन देते हुए फरमाया कि संतों का आध्यात्मिक मिलन जैन एकता को और अधिक मजबूत बनाता है। सभी संप्रदाय अपनी अपनी उपासना विधि का उपयोग करते हुए जैन एकता को और अधिक बल प्रदान कर सकते हैं।

जैन संप्रदाय प्रभु महावीर की वाणी जो आगमों में उल्लेखित हैं के अनुसार चलता हुआ अपनी आत्मा का कल्याण करते हुए मोक्ष को प्राप्त करें। साधु संत लोगों को तारने के लिए लंबे-लंबे विहार करके श्रावक-श्राविकाओं की सार संभाल करते हैं, उन्हें जीनवाणी का श्रवण करवाते हैं। मुनि श्री ने विशेष रूप से कहा कि मनुष्य जन्म पाकर हमें अपनी आत्मा को पाप वृत्ति से बचाकर, समता में रहते हुए, प्रत्येक प्रवृत्ति करनी चाहिए। धर्म त्याग में है, भोग में नहीं।

मुनि श्री ने मुनि श्री वीरेंद्रकुमारजी के दीक्षा दिवस की अग्रिम आध्यात्मिक मंगलकामनाएं प्रदान की एवं उनके उत्तम स्वास्थ्य की कामना की।
 

मुनि श्री वीरेंद्रकुमारजी ने मंगल उद्बोधन देते हुए फरमाया कि ऐसे तपस्वी, ज्ञानी, ध्यानी मुनि श्री कमलकुमारजी को आज इस प्रांगण में स्वागत कर मन मयूर हर्षित हो रहा है। आज प्रतिपल जैन शासन की सेवा में समर्पित रहते है। अपनी साधना करते हुए भी आप जन उद्धार का कार्य प्रभु महावीर की वाणी के अनुरूप कर रहे हैंं।
  

गच्छाधिपति आचार्य श्री मुक्तिप्रभ सूरीजी का अनायास आज महावीर भवन में पधारना हुआ। उन्होंने उपस्थित जनमेदनी को संबोधित करते हुए कहा कि हम पट पर बैठने वाले संतों को आप तुरंत पहचान कर सकते हैं कि यह तेरापंथी है, यह स्थानकवासी हैं, यह मूर्तिपूजक हैं।

मगर सामने बैठने वाली धर्म परिषद की पहचान करना मुश्किल है कि यह किस संप्रदाय से हैं। मुनि श्री ने कहा कि किसी एक संप्रदाय पर कोई मुसीबत आए तो सभी को साथ में मिलकर उसका निवारण करना चाहिए। हम सभी भगवान महावीर के अनुयाई हैं, उपासना विधि अलग हैं, मगर सभी जैन हैं।
  

इस अवसर पर तेरापंथ सभा के अध्यक्ष श्री विमल चिप्पड एवं स्थानकवासी सम्प्रदाय से श्री प्रवीण तालेड़ा ने मुनि श्री के त्रिवेणी आध्यात्मिक मिलन के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की एवं उपस्थित धर्म परिषद् का स्वागत किया।

    -: प्रचार प्रसार प्रभारी :-
*श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा चेन्नई*

            स्वरुप चन्द दाँती
          प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई
       

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