रूपांतरण ध्यान एक्सप्रेस कार्यशाला
ट्रिप्लीकेन चेन्नई 14.04.2022 : अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के तत्वावधान में एवं तेरापंथ महिला मंडल चेन्नई द्वारा आयोजित रूपांतरण कार्यशाला के अंतर्गत ध्यान कार्यशाला को संबोधित करते हुए साध्वी डॉ मंगलप्रज्ञा ने कहा ध्यान का अर्थ होता है, एकाग्रता पूर्वक किसी एक आलंबन पर चित्त को स्थिर रखना। ध्यान प्रशस्त और अप्रशस्त दो प्रकार का होता है। जीवन की पगडंडीया समस्याओं और कठिनाइयों से भरी होती है। ऐसी स्थिति में आवश्यकता है, व्यक्ति शुभ ध्यान के साथ आगे बढ़े। आने वाली विकट परिस्थितियों से प्रताड़ित न बने। अपनी मन:स्थिति को स्वस्थ बनाए रखें। ऐसी कार्यशालाओं का आयोजन नई प्रेरणाओं की स्फुरणा करता है।
जिंदगी में बदलाव लाकर विकास पथ की ओर कदम बढ़ाने के लिए अपने आपको शुभ ध्यान की साधना में नियोजित करना चाहिए। हमारी साधना धर्म ध्यान की ओर गतिमान रहनी चाहिए। वर्तमान को जागरूकता के साथ जीने वाला व्यक्ति सुखद भविष्य का निर्माण कर सकता है।प्रतिक्षण आत्म निरीक्षण से चिंतन स्वस्थ बनता है, जिससे आर्त और रौद्र ध्यान की कर्म कलिमा से बचा जा सकता है। शुद्ध व्यवहार के लिए और मन की शांति के लिए विषमता की स्थिति में साम्यभाव की साधना में नियोजित होकर व्यक्ति अनिर्वचनीय आनंद की अनुभूति करता है।
कार्यक्रम का प्रारंभ साध्वीश्री के मंगल मंत्रोच्चार से हुआ। महिला मंडल ने प्रेरणा गीत प्रस्तुत किया। मंडल की अध्यक्षा पुष्पा हिरण ने साध्वीवृंद एवं संपूर्ण परिषद का स्वागत किया। कुसुमलता चौरड़िया, संगीता बरडिया, वनिता बोहरा, सुधा बोहरा, आशा कटारिया ने चार ध्यानों को लघु नाटिका के रुप में प्रस्तुत किया। साध्वी शौर्यप्रभाजी ने कहा ध्यान आत्मसाधना का महत्वपूर्ण सोपान है। आनंद की दुनिया में विहरण करने के लिए सुखद वितान है। ध्यान की गहन साधना निश्चित रूप में जीवन को ऊंचाई प्रदान करती है। आभार मंडल की उपाध्यक्षा गुणवंती खांटेड ने एवं कुशल संचालन मंत्री रीमा सिंघवी ने किया।
स्वरुप चन्द दाँती
प्रचार प्रसार प्रभारी
श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा, चेन्नई