Share This Post

Featured News / ज्ञान वाणी

आत्मा को चिंतन की कसौटी पर कसने का पर्व है पर्यूषण: साध्वी कंचनकंवर

आत्मा को चिंतन की कसौटी पर कसने का पर्व है पर्यूषण: साध्वी कंचनकंवर

चेन्नई. पुरुषवाक्कम स्थित एएमकेएम में विराजित साध्वी कंचनकंवर, साध्वी डॉ. सुप्रभा ‘के सानिध्य में साध्वी डॉ. इमितप्रभा ने पर्यूषण पर्व के प्रथम दिन अंतगड़ सूत्र के प्रथम अध्याय का वाचन किया, जिसमें गौतमकुमार द्वारा दीक्षा लेकर भिक्षु जीवन में अनेकों प्रकार के तपों से कर्म निर्जरा और तप करते हुए सिद्ध, बुद्ध और मुक्त होते हैं। गौतमकुमार की ही भांति बाकी दसों कुमार भी सिद्ध, बुद्ध और मुक्त बनते हैं।

साध्वी डॉ.उदितप्रभा ने कहा जो पुलकित और प्रसन्न कर दे वे पर्व कहलाते हैं। जो पर्व किसी घटना, इतिहास या व्यक्ति से जुड़े हैं वे तात्कालिक और सीमित होते हैं और जो सदैव और शाश्वत मनाए जानेवाले पर्व हैं वे त्रैकालिक हैं। पर्यूषण पर्व भी त्रैकालिक है जो आत्मा को जगाने आता है।

यह हमें तपस्या करने, कम खाना और गम खाना सीखाता है, दिखावा करना नहीं। उपवास और जाप तो धर्मक्रिया है धर्मध्यान नहीं। धर्म मात्र परंपराएं नहीं है, परिवर्तन का नाम है धर्म। जप, तप करते हुए मन में समता के भाव नहीं है तो मात्र दिखावा है। आत्मा को उत्कर्ष की ओर ले जाना धर्म करना है। गुरु जयमल ने कहा है कि हे साधक तुमने इतनी बार साधुपना लिया पर सिद्ध नहीं हुई।

साध्वी डॉ. हेमप्रभा ने कहा धर्म करते हुए युग बीत गए, कितने ही पर्यूषण मना लिए लेकिन परिवर्तन नहीं आया। स्वयं का निरीक्षण कर बदलाव लाएं। आत्माविकास के लिए महापुरुष कहते हैं तीन ‘जी’ को जीवन में उतारें- गुड, ग्रेट और गोड। पहला जी- गुड, अच्छा सोचें, अच्छा बोलें, अच्छा करें।

पर्यूषण का पर्व हमें सद्गुणों का संग्रह करने का संदेश देता है। यह तन, मन, जीवन शुद्धि का विधान है, जश्न नहीं। आत्मा को चिंतन की कसौटी पर कसने का पर्व है पर्यूषण। सुख-दुख, संयोग-वियोग, अनुकूल प्रतिकूल का समाधान आत्म ज्ञान करता है। ज्ञान आत्मा का स्वाभाविक गुण है, सदा साथ रहता है। ज्ञान को अलग कर दिया जाए तो आत्मा जड़ हो जाएगी।

ज्ञान के प्रकाश में आगे बढ़ें तो अंधकार में ठोकर नहीं लगेगी। महावीर प्रभु ने कहा है – व्यावहारिक जीवन में भी ज्ञान बहुत जरूरी है। जो आत्मधर्म और इंद्रिय धर्म को नहीं समझते उनका जीवन बेकार है।

सिद्धितप के अंतिम दिन साध्वीवृंद के सानिध्य में समापन हुआ, बड़ी संख्या में तपस्वी उपस्थित हुए। 28 अगस्त को प्रात:8.30 से अंतगड़ सूत्र का वाचन होगा। पर्यूषण पर अखंड नवकार महामंत्र का जाप किया जाएगा।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar