राजेन्द्र भवन चेन्नई विश्व वंदनीय प्रभु श्रीमद् विजय राजेंद्र सुरीश्वरजी महाराज साहब के प्रशिष्यरत्न राष्ट्रसंत प.पू. युगप्रभावक आचार्य श्रीमद् विजय जयंतसेनसुरीश्वरजी म.सा.के कृपापात्र सुशिष्यरत्न श्रुतप्रभावक मुनिप्रवर श्री डॉ. वैभवरत्नविजयजी म.सा. के भव्य वर्षावास का आनंद लीजिए।
~ दूसरे जीवों की सुरक्षा के लिए दया भाव और स्वयं के जीव की सुरक्षा के लिए जयनाभाव, समता भाव, साक्षी भाव ज्ञानी भगवन्तो प्ररूपित किया है।
~ आत्मा की शक्ति से जुड़ने वाला साधक कभी भी उससे दूर नहीं रह सकता।
~ समझदार व्यक्ति कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी अत्यंत सरलता और सहजता से समझ के समाधान ला सकता है।
~ आत्म बल ही सभी सफलताओं का मूल है।
~ हम हमारे जीवन के दूसरों को देख कर उसे बदलने के लिए प्रबल पराक्रम करें तो हमारे दोषों का नाश होता ही है।
~प. प. प्रभु श्रीमद् विजय राजेंद्र सूरीश्वरजी महाराजा को आज भी विश्व के सभी लोग वंदन, पूजन करते हैं क्योंकि उन्होंने स्वयं के जीवन में जो भी कार्य किया वह ज्ञान, दर्शन और चरित्र के सम्यक भावों से ही किया था।
~ हमारे जीवन में बहुत ज्यादा धन, गाड़ी, बंगला मिल जाए तो भी जीवन सफल नहीं है किंतु सभी जीवो की रक्षा, स्नेह भाव, मैत्री भाव रखे तो ही जीवन सफल है।
~ अज्ञानी जीवो को धर्म पाने के लिए सत्य समझने के लिए कोई रास्ता नहीं है।
~ जीवन में स्वयं की गलतियों को देखकर माफी मांगना और बदलने का पुरुषार्थ करना वह सबसे बड़ा धर्म है।
~ परमात्मा महावीर स्वामी ने कहा है जगत के जीवो को सुखी बनाने के लिए सभी जीवों से माफी मांगना और माफी देने का भाव रखना ही चाहिए।
*”जय जिनेंद्र-जय गुरुदेव”*
🏫 *श्री राजेन्द्रसुरीश्वरजी जैन ट्रस्ट, चेन्नई*🇳🇪