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आत्मा का कल्याण ज्ञान दर्शन चारित्र की साधना से होगा: महासती धर्मप्रभा

आत्मा का कल्याण ज्ञान दर्शन चारित्र की साधना से होगा: महासती धर्मप्रभा

Sagevaani.com/चैन्नई। आत्मा का कल्याण ज्ञान दर्शन चारित्र से ही होगा। रविवार साहुकारपेट जैन भवन में महासती धर्मप्रभा ने स्वाध्यायो के सम्मान समारोह मे श्रध्दांलूओ को सम्बोधित करते हुए कहा कि जिस मनुष्य मे ज्ञान दर्शन और चारित्र के गुण नहीं वह जीवन का निर्माण और आत्मा का कल्याण नहीं करवा सकता है। ज्ञान दर्शन और चारित्र की आराधना करने से मोक्ष का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है।

साध्वी स्नेह प्रभा ने श्रीमद उत्तराध्ययन सूत्र के बारवें अध्याय का अर्थ बतातें हुए कहा कि मनुष्य की पहचान जाति से नहीं उसके आचरण व्यहवार और गुणों होती है। जाति मनुष्य कितनी भी निची क्यों न हो पर कर्म अगर उसके उच्च के है तो ऐसे साधक पुरूष को जाति का बंधन भी मुक्ति के मार्ग मे बाधा नहीं बनता है और ऐसे सिध्द पुरूष को देवता भी शीश झुकाते है और उसके गुणागान करते है।

साहुकार पेट श्रीसंघ के कार्याध्यक्ष महावीरचन्द सिसोदिया ने जानकारी देते हुए बताया श्री एस.एस.जैन संघ साहुकारपेट के तत्वावधान मे साध्वी धर्मप्रभा के सानिध्य मे श्री दक्षिण भारत जैन स्वाध्याय संघ का स्वाध्यायी सम्मान समारोह रखा गया। समारोह के मुख्य अतिथि सुभाषचन्द रांका, विशिष्ट अतिथि एम.अजिराज कोठारी की अध्यक्षा मे स्वाध्याय क्षेत्र मे सेवा देने वाले स्वाध्यायी भाई बहनों को स्वाध्याय संघ के अध्यक्ष लाभचंद खारीवाल, जयंतीलाल कावेड़िया संयोजक दिलीप लोढ़ा, रिखब चंद लोढ़ा, सुरेश डूगरवाल, सज्जनराज सुराणा, हस्तीमल खटोड़, एन.राकेश कोठारी, शांतिलाल दरड़ा शम्भूसिंह कावड़िया आदि सभी ने सैकड़ों श्रध्दांलूओ की उपस्थिति मे एक पच्चीस स्वाध्यायी को शोल माला और मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया ।

प्रवक्ता सुनिल चपलोत

श्री एस.एस. जैन संघ, साहुकारपेट, चैन्नई

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