यहां बेरी बक्काली स्ट्रीट स्थित शांति भवन में विराजित ज्ञानमुनि ने पर्वाधिराज पर्यूषण पर्व के शुभारंभ पर कहा कि इंसान अपने जीवन में आनन्द, बोध एवं प्रसन्नता चाहता है इसलिए इंसान की प्रसन्नता को देखते हुए समय समय पर पर्वो का आयोजन किया जाता है।
मानव को महोत्सव अच्छा लगता है, पर्वो से इनके तनाव की दशा ठीक हो जाती है। मानसिक तनाव को दूर करने के लिए ही पर्व मनाते हैं। कुछ पर्व ऐसे हैं जिससे मनुष्य आलौकिक आराधना करने हैं। भौतिकता से हटकर धर्म की ओर चलते हैं।
अज्ञान से हटकर ज्ञान की मार्ग पर चलने का समय ही है ये पर्वाधिराज पर्यूषण पर्व है। जो आठ दिन मनाया जाता है। इन आठ कर्मो से ही आत्मा व परमात्मा का भेद होता है। मनुष्यों को ये आठ दिन आत्मा के शुद्धि करने व सारे कर्मो को धोने के प्रयास करना चाहिए।
पर्यूषण पर्व आत्मा का संदेश लेकर आता है। ये 12 महिने की जमी हुई धुल को मिटाने का समय है। अपने आप को भगवान के मार्ग पर चलने का समय है। आत्मा शुद्ध करने व पवित्र करने का समय है।