चेन्नई. तेरापंथ सभा चेन्नई के तत्वावधान में आयोजित संवत्सरी महापर्व को संबोधित करते हुए मुनि ज्ञानेंद्र कुमार ने कहा जैन धर्म में संवत्सरी महापर्व आमोद प्रमोद करने वाला नहीं, संयम की प्रेरणा देने वाला शुद्ध धार्मिक पर्व है।जिस गुण से हमें परिपूर्ण होना है, उसकी साधना आराधना अनुप्रेक्षा करना इस पर्व की मूल प्रेरणा है, यह भौतिक व शरीर केंद्रित नहीं, आत्मकेंद्रित पर्व है।
आज के दिन हम सरल बनकर अपनी कमियों को जाने उसे निर्मल हृदय से स्वीकार करते हुए मन को साफ करें,जो क्षमा मांगता है वह महान होता है सॉरी कहने से कोई छोटा नहीं होता अपितु लघुता के गुण से प्रभुता को प्राप्त कर लेता है।
मुनि ने भगवान महावीर की गणधर परम्परा व उत्तरवर्ती आचार्य परम्परा का विवेचन किया।
मुनि विनीत कुमार ने जैन धर्म के 24 तीर्थंकर परंपरा को व्याख्यातित किया। मुनि विमलेश कुमार ने संवत्सरी महा पर्व की महानता का वर्णन किया।