चातुर्मास प्रवचन श्रृंखला के अंतर्गत आज आयोजित धर्मसभा में भारत गौरव, डॉ. श्री वरुण मुनि जी म.सा. ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि आत्मकल्याण का सच्चा मार्ग ही मानव जीवन को सार्थकता और शांति प्रदान करता है।
मुनि श्री ने अपने प्रवचन में बताया कि जो व्यक्ति धर्म, सदाचार और आत्मचिंतन को जीवन का आधार बनाता है, उसका जीवन स्वतः ही दिव्यता से आलोकित हो उठता है। जब मनुष्य अपने भीतर झाँकता है और अपनी आत्मा के स्वर को सुनता है, तभी वास्तविक सुख और शांति का अनुभव होता है।उन्होंने आगे कहा कि आज का मानव बाहरी सुख-सुविधाओं में आनंद खोजने की भूल कर रहा है, जबकि सच्चा आनंद आत्मशुद्धि और आत्मजागरण में ही निहित है। भौतिक उपलब्धियाँ क्षणभंगुर हैं, परंतु आत्मकल्याण की प्राप्ति शाश्वत आनंद प्रदान करती है।मुनि श्री ने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि वे अपने जीवन में सत्य, संयम, करुणा और सद्भाव को अपनाएँ, क्योंकि इन्हीं गुणों के माध्यम से मनुष्य आत्मकल्याण की दिशा में अग्रसर हो सकता है।
कार्यक्रम के दौरान मधुर वक्ता रूपेश मुनि जी म.सा. ने अपने सुरम्य स्वर में भक्ति रस से ओतप्रोत भजनों की मनमोहक प्रस्तुति दी, जिनसे सम्पूर्ण वातावरण आध्यात्मिक आनंद और पवित्र भावनाओं से भर उठा। उनके भजनों की मधुर लहरियों ने श्रद्धालुओं के हृदयों में भक्ति, शांति और समर्पण की भावनाएँ जागृत कर दीं।
इसके उपरांत उप प्रवर्तक श्री पंकज मुनि जी म.सा. ने मंगल पाठ प्रदान कर सभी को आशीर्वाद स्वरूप शुभकामनाएँ दीं। उनके प्रेरक वचनों ने उपस्थित जनों को धर्ममार्ग पर अडिग रहने तथा जीवन में करुणा, संयम और सादगी को अपनाने की प्रेरणा दी।
पूरे कार्यक्रम का सुसंगत और प्रभावी संचालन श्री राजेश मेहता द्वारा किया गया। उनके संतुलित संचालन ने आयोजन की गरिमा को और भी बढ़ा दिया।
धर्मसभा में बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित रहे और मुनि श्री के मंगल वचनों से आत्मिक प्रेरणा प्राप्त की। वातावरण में भक्ति, शांति और आध्यात्मिक उल्लास का अद्भुत संगम देखने को मिला।
कार्यक्रम के समापन पर श्रद्धालुओं ने मंगलपाठ के साथ मुनि श्री से आशीर्वचन प्राप्त किए और उनके वचनों से आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव किया।