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आचार्य हीराचंद्र का 57वां दीक्षा दिवस तप त्याग से मनाया

आचार्य हीराचंद्र का 57वां दीक्षा दिवस तप त्याग से मनाया

चेन्नई. साध्वी इंदुबाला, साध्वी सुमतिप्रभा, साध्वी मुदितप्रभा का चातुमार्स कांकरिया भवन में चल रहा है। आचार्य हीराचंद्र के 57 वां दीक्षा दिवस तप त्याग व सामूहिक एकासना व तीन-तीन सामयिक के साथ श्री एस एस जैन संघ किलपाक कांकरिया भवन किलपाक में मनाया गया। चेन्नई शहर में 1500  श्रावक श्राविकाओं ने एकासन कर गुरुदेव के प्रति सच्ची भक्ति का उदहारण पेश किया।

श्री एस एस जैन संघ किलपाक के तत्वावधान में सामूहिक एकासन की व्यवस्था संघ द्वारा रखी गई जिसमें श्रावक श्राविकाओं ने सामूहिक एकासन कर इस चातुमार्स को ऐतिहासिक बनाकर गुरुदेव के दीक्षा दिवस को तप से भेंट दी।

इस मौके पर प्रवचन में फरमाया कि जहां पर नाम और   प्रशंसा की चाहत रहती है वहां भक्ति हो नहीं सकती। भक्ति में अपने अहकार व मैं को सरेन्डर करना पड़ता है। भक्ति में इतनी शक्ति होती है कि भक्त को भगवान बना देती है। गुरु की आज्ञा का पालन करना भी विनय का आभ्यंतर तप है।

गुरु गुणगान में श्री एस एस जैन संघ के अध्यक्ष सुगनचंद बोथरा, मंत्री ललित बाघमार ने आचार्य के 57वें दीक्षा दिवस पर गुरु के प्रति अपने हृदय के उद्गार प्रकट किया।

इस मौके पर कैलाश दुगड़, बुधमल बोहरा, ज्ञानचंद बाघमार, जवरलाल कर्णावट, चम्पालाल बोथरा, आनंद  चोरडिय़ा,  मांगीलाल चोरडिय़ा, राजेश ललवानी ने अपने गुरुदेव के दीक्षा दिवस पर भाव रखे। युवा रत्न राजेश  ललवानी को इस चातुमार्स में प्रशंसनीय संघ सेवा के लिए सम्मानित किया गया।

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